Rohini Vrat 2024: रोहिणी व्रत करने से दूर होते हैं सभी कष्ट, यहां जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें
जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है हर माह में सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ने पर रोहिणी व्रत किया जाता है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। इस व्रत को करने से कई लाभ मिल सकते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं रोहिणी व्रत की पूजा विधि और इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rohini Vrat 2024 May: जैन धर्म के अनुयायियों के लिए रोहिणी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जैन मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। ऐसे में इस साल मई में रोहिणी व्रत 10 मई 2024, शुक्रवार को किया जाएगा।
रोहिणी व्रत पूजा विधि (Rohini Vrat Puja Vidhi)
रोहिणी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। आप चाहें तो पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। अब आचमन कर व्रत संकल्प लें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई कर लें और इसके बाद भगवान वासुपूज्य की मूर्ति के साथ वेदी स्थापित करें। पूजा के दौरान भगवान को फल, फूल, गंध, दूर्वा आदि चढ़ाएं। इसके बाद शाम के समय सूर्यास्त से पहले पूजा-पाठ करने के बाद फलाहार करें। इस व्रत में रात्रि में भोजन नहीं किया जाता, इसलिए अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
मिलते हैं ये लाभ
जैन धर्म में माना गया है कि रोहिणी व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत को पूरे श्रद्धा भाव और विधि-विधान से करने से साधक के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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ध्यान रखें ये नियम
रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र में शुरू होता है, और मार्गशीर्ष नक्षत्र लगने तक किया जाता है। व्रत को कम-से-कम पांच साल तक रखने का विधान है। वहीं, व्रत का उद्यापन करना भी जरूरी होता है। यदि आप व्रत का उद्यापन कर रहे हैं तो, इस दौरान गरीबों व जरूरतमंदों को अपनी क्षमता के अनुसार दान आदि करें और उन्हें भोजन भी कराएं।
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