प्रयागराज : ‘आईडी लर्निंग’ से आदिवासी बहुल गांव में ज्ञान बांट रही अनूठी पाठशाला, नीरस विषय भी बन जाता है सरस
केंद्र सरकार का राष्ट्रीय शिक्षा नीति तहत प्राथमिक शिक्षा को रुचिकर और सहज बनाने पर विशेष ध्यान है ताकि बच्चे खेल-खेल में पढ़ें और सीखें। ऐसे में सुशिक्षित समाज की परिकल्पना को साकार करने में कुछ निजी प्रयासों के सुफल दिखाई दे रहे हैं। ऐसा ही नवाचार किया है संगमनगरी में विंध्य पर्वत शृंखला की गोद में बसे आदिवासी बहुल कोरांव के विद्यालय टौंगाकला के सहायक अध्यापक अशोक द्विवेदी ने।
अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में केंद्र सरकार का विशेष ध्यान प्राथमिक शिक्षा को रुचिकर और सहज बनाने पर है ताकि बच्चे खेल-खेल में लगन से पढ़ें और सीखें।
इसी के साथ सुशिक्षित समाज की परिकल्पना को साकार करने में कुछ निजी प्रयासों के भी सुफल दिख रहे हैं।
ऐसा ही नवाचार किया है संगमनगरी में विंध्य पर्वत शृंखला की गोद में बसे आदिवासी बहुल कोरांव के विद्यालय टौंगाकला के सहायक अध्यापक अशोक द्विवेदी ने।
वह नीरस विषय को सरस बनाते हैं, बच्चों में कौतूहल जगाने के साथ पाठशाला को प्रयोगशाला की तरह चलाते हैं।
विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़ने और उनके अधिगम स्तर को बढ़ाने के लिए 'आईडी लर्निंग कांसेप्ट' अपनाया है। इससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है और उनकी समझ का स्तर बेहतर हुआ है।
पढ़ाई से उदासीन अभिभावक
जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर कोरांव विकासखंड में विद्यालय के आसपास की आबादी निम्न आय वर्ग की होने के कारण अभिभावक बच्चों की पढ़ाई में रुचि नहीं लेते।
ऐसे में स्कूल में विद्यार्थियों का ठहराव और उन्हें पढ़ाई से जोड़ना बड़ी चुनौती थी। इससे निपटने के लिए सहायक अध्यापक अशोक ने अपने स्तर से कक्षावार तमाम पाठ्यसामग्री को परिचयपत्र की तरह बने कार्डों पर प्रकाशित कराया। इनमें गणित, विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी की प्राथमिक जानकारी देने वाले तथ्य शामिल किए।
किसी कार्ड पर अंग्रेजी तो किसी पर गणित
परिचय पत्र नुमा ये कार्ड प्रत्येक कक्षा में बच्चों को सुबह बांट दिए जाते हैं। दिनभर बच्चे कार्ड को परिचयपत्र की तरह गले में लटकाकर रखते हैं।
स्वयं को उसी विषय का प्रचारक बताते हैं। कहते हैं कि आज मेरा विषय अंग्रेजी है, हम सब फल के नाम और स्पेलिंग बताएंगे।
प्रति उत्तर में दूसरा बालक खुद को गणित का प्रतिनिधि बताते हुए पहाड़ा के बारे में जानकारी देता है। दोनों विद्यार्थी गंभीरता से एक-दूसरे के कार्ड को देखते और पढ़ते हैं।
प्रश्न भी पूछते हैं। स्कूल के अन्य शिक्षक भी उसी कार्ड की विषयवस्तु को पाठ्य पुस्तक से जोड़ते हुए अध्यापन करते हैं।
जब से आईडी कार्ड लर्निंग कांसेप्ट विद्यालय में अपनाया गया है, बच्चे नियमित स्कूल आ रहे हैं। प्रतिदिन उनमें यह जानने की ललक रहती है कि आज कौन सा कार्ड मिलेगा। उसकी विषयवस्तु को याद कर वे स्वत: शिक्षक को सुनाने की कोशिश करते हैं। -अशोक, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय टौंगाकला, प्रयागराज
पचास विद्यालयों तक पहुंची परीक्षा की तैयारी
प्रयागराज के ही एक और सरकारी विद्यालय के अध्यापक का नवाचार विद्यार्थियों को कक्षा में पढ़ाई से प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तक सहायता कर रहा है।
जिले के कौधियारा विकासखंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय खीरी के शिक्षक शंखधर द्विवेदी नियमित कक्षाओं के साथ विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति सजग बनाने और उनमें सफल होने का मंत्र दे रहे हैं।
उन्होंने अपने विद्यालय के साथ पचास अन्य विद्यालयों के बच्चों को ऑनलाइन जोड़ा है। उन्हें नवोदय विद्यालय, अटल आवासीय विद्यालय, राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित परीक्षा, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज जैसी परीक्षाओं की तैयारी वर्षभर कराते हैं।
शंखधर ने वर्ष 2021 में कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों में मेधावियों की तलाश कर उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने का भी संकल्प लिया।
नियमित रूप से हिंदी, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और तर्कशक्ति विषय की ऑनलाइन कक्षाएं चलाते हैं। प्रत्येक विषय के वीडियो वाट्स्एप ग्रुप पर प्रेषित करते हैं। छात्र फोन या ग्रुप पर प्रश्न भी पूछ सकते हैं। अब इस पहल से कई अन्य शिक्षक भी जुड़ गए हैं।