Prayagraj Flood Updates: गंगा-यमुना खतरे के निशान से 2 मीटर दूर, 22 अगस्त को बढ़ेगा पानी
Prayagraj Flood News Updates गंगा के जलस्तर बढ़ने की रफ्तार सबसे अधिक है। छतनाग में स्थिति सबसे विकट है। यहां पिछले 24 घंटे में गंगा का जलस्तर 58 सेमी बढ़ चुका है। अगर इसी गति से गंगा बढ़ती रही तो खतरे के निशान को छूने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गंगा यमुना के बीच में बसे प्रयागराज शहर में बाढ़ का खतरा अब मंडराने लगा है। भले ही प्रयागराज में इस बार बारिश उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई हो लेकिन, पहाड़ी क्षेत्राें में लगातार बारिश होने और बांधों से गंगा यमुना में पानी छोड़े जाने का असर प्रयागराज में दिखने लगा है।
नदी तटीय इलाकों में हाई अलर्ट : तटीय इलाकों में पानी तेजी से फैल रहा है। कई तटीय इलाकों में पानी अंदर तक घुस चुका है। सोमवार को पांच लाख क्यूसेक पानी के प्रयागराज पहुंचने की उम्मीद है, जिसके बाद स्थिति और अधिक परेशानी वाली हो सकती है। जिला प्रशासन ने तटीय इलाकों के लिए हाई अलर्ट जारी किया है और सभी को सावधान रहने को कहा है। रात में जिस तरह से पानी की गति बढ़ रही है, उससे स्थिति काफी चिंताजनक है।
गंगा-यमुना जलस्तर
शनिवार को दोपहर 12 बजे तक बाढ़ विभाग की ओर से गंगा-यमुना के जलस्तर का बुलेटिन जारी किया गया। इसके अनुसार-
फाफामऊ - गंगा - 82.57 मीटर
छतनाग - गंगा - 81.84 मीटर
नैनी - यमुना - 82.44 मीटर
24 घंटे में 58 सेमी बढ़ी गंगा : इस समय गंगा के जलस्तर बढ़ने की रफ्तार सबसे अधिक है। छतनाग में स्थिति सबसे विकट है। यहां पिछले 24 घंटे में गंगा का जलस्तर 58 सेमी बढ़ चुका है। इससे गंगा की रफ्तार का आकलन किया जा सकता है। अगर इसी गति से गंगा बढ़ती रही तो खतरे के निशान को छूने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसके अलावा फाफामऊ में 51 सेमी प्रति चौबीस घंटे की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है।
यमुना का जलस्तर : प्रयागराज में यमुना नदी के बाढ़ की बात करें तो यमुनापार के नैनी इलाके में जो आंकड़े दर्ज किए गए हैं, उसके अनुसार पिछलें 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 43 सेमी बढ़ चुका है।
प्रयागराज में गंगा-यमुना में खतरे का निशान क्या है : प्रयागराज शहर गंगा और यमुना नदी के बीच में बसा हुआ है। ऐसे में यहां हमेशा बाढ़ का खतरा बना रहता है। बाढ़ विभाग ने प्रयागराज के लिए 84.73 मीटर खतरे का निशान तय किया है। यह गंगा और यमुना दोनों के लिए है। अगर पानी खतरे के निशान को छू लेता है तो स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। इस समय गंगा और यमुना खतरे का निशान से मात्र दो मीटर नीचे ही बह रही हैं।