इस लोकसभा क्षेत्र से दरकती गई सपा की सियासी जमीन, अब गठबंधन के सहारे खाता खोलने की कोशिश; समझें समीकरण
Lok Sabha Election 2024 गठन के बाद सपा ने पहली बार 1996 में कुशीनगर लोकसभा से दम ठोका और एमवाई (मुस्लिम यादव) फैक्टर के तहत कासिम अली को चुनाव मैदान में उतारा। जोरदार टक्कर भी देखने को मिली और सपा प्रत्याशी 25.42 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। अब गठबंधन के सहारे सपा सियासी जमीन पाने की पुरजोर कोशिश करेगी।
अजय कुमार शुक्ल, कुशीनगर। कुशीनगर लोकसभा में सपा की सियासी जमीन धीरे-धीरे दरकती गई। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि शुरू के तीन चुनावों में कांटे का टक्कर देने वाली सपा के उम्मीदवार अंतिम के तीन चुनावों में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे।
यह वही क्षेत्र है जहां से गन्ना व किसान आंदोलन को लेकर सपा को प्रदेश में बड़ा राजनीतिक आधार मिला था। अब एक फिर से गठबंधन के सहारे सपा अपनी खोई सियासी जमीन पाने की पुरजोर कोशिश करेगी। हालांकि, सपा अभी यहां अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर सकी है।
पहली बार 1996 में कुशीनगर लोकसभा से दम ठोका
गठन के बाद सपा ने पहली बार 1996 में कुशीनगर लोकसभा से दम ठोका और एमवाई (मुस्लिम यादव) फैक्टर के तहत कासिम अली को चुनाव मैदान में उतारा। जोरदार टक्कर भी देखने को मिली और सपा प्रत्याशी 25.42 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
भाजपा के रामनगीना मिश्र ने 33.23 प्रतिशत मत पाकर जीत दर्ज की थी। 1998 के चुनाव में सपा ने अपना उम्मीदवार बदला तो उसका मत प्रतिशत भी बढ़ा। सपा ने मैदान में उतरे बालेश्वर यादव को इस चुनाव में 30.73 प्रतिशत मत मिला और दूसरे स्थान रहे।
हार के बाद भी पिछली बार की तुलना में सपा का 5.31 प्रतिशत मत बढ़ा। ठीक एक साल बाद 1999 के हुए चुनाव में भी सपा दूसरे स्थान पर रही और इस बार मतों का प्रतिशत घटकर 24.44 प्रतिशत हो गया और यहीं से सपा की सियासी जमीन भी दरकनी शुरू हो गई।
2004 के चुनाव में सपा 8.4 प्रतिशत मतों के साथ पांचवे स्थान पर आ गई और सपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई। 2009 में सपा का मत प्रतिशत फिर से घटा और 3.84 प्रतिशत तक पहुंच गया और फिर से जमानत न बच सकी।
2014 के चुनाव में सपा को 6.62 प्रतिशत मत मिला और फिर से सपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। इसके बाद 2019 का चुनाव में बसपा से हुए गठबंधन ने सपा को पुरानी सियासी जमीन की ओर ले जाने का कार्य जरूर किया और मत प्रतिशत बढ़कर 24.63 प्रतिशत हो गया।
यह और बात है कि मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार दूबे को 56.68 प्रतिशत मत मिला और हार-जीत का फासला काफी बड़ा रहा। इस बार कांग्रेस सहित अन्य दलों के गठबंधन करने वाली सपा अपनी खोई पुरानी खोई सियासी जमीन पाने के साथ ही चुनाव में टक्कर देने की कोशिश करेगी।