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राजनीति की पिच पर नौकशाह, यूपी में सफल रहा IAS-IPS अफसरों का सियासत में एंट्री का रिकॉर्ड; संसद तक तय किया सफर

Lok Sabha Election 2024 राजनीति की पिच पर नौकरशाहों ने भी खूब रंग जमाया है। पूर्व डीजीपी विजय कुमार तो इसका हालिया उदाहरण हैं लेकिन पहले भी ऐसे अवसर कई बार आए हैं जब नौकरशाहों ने न केवल राजनीति में इंट्री मारी बल्कि धमाकेदार प्रदर्शन भी किया। यूपी में नौकरशाहों का राजनीति में रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। इस पर प्रमुख संवाददाता आलोक मिश्र की रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 10 Apr 2024 12:09 PM (IST)
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राजनीति की पिच पर नौकशाह, यूपी में सफल रहा IAS-IPS अफसरों का सियासत में एंट्री का रिकॉर्ड

आलोक मिश्र, लखनऊ। (Lok Sabha Election 2024) अपने अनुभव व रसूखों के बलबूते राजनीतिक दलों में पकड़ बनाने के बाद कई नौकरशाहों ने सियासत की पिच पर उतरना मुनासिब समझा और इसमें सफल भी रहे। पूर्व डीजीपी विजय कुमार ने पत्नी अनुपमा संग भाजपा की सदस्यता ग्रहण की तो एक बार फिर सियासी गलियारे में हलचल बढ़ गई।

एक और पूर्व आइपीएस अधिकारी के राजनीतिक सफर की शुरुआत कर चुके हैं। उनके चुनावी अखाड़े में उतरने की चर्चाएं भी आम हैं। देश के राजनीतिक पटल पर यशवंत सिन्हा, मीरा कुमार, अजित जोगी व ओपी चौधरी समेत कई ऐसे नाम हैं, जो पहले नौकरशाह और फिर सफल राजनेता रहे।

चुनावी दंगल में नजर आएंगे नौकरशाह

उत्तर प्रदेश में भी आइएएस व आइपीएस समेत अन्य संवर्ग के अधिकारियों का चुनावी दंगल में उतरने का इतिहास पुराना है। बड़े ओहदों पर रहने वाले अधिकारी राजनीति में भी काफी सफल रहे हैं। विजय कुमार से पहले पूर्व डीजीपी बृजलाल ने सेवाकाल पूरा होने के बाद राजनीति का रुख किया था।

उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके बृजलाल ने भाजपा का दामन थामने के बाद सियासी गलियारे में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राज्यसभा तक का सफर तय किया। 1977 बैच के आइपीएस अधिकारी बृजलाल सेवानिवृत्त होने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे।

जीएल मीणा भी लड़ रहे चुनाव

पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए जीएल मीणा ने भी सेवानिवृत्त होने के बाद राजस्थान में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं। पुलिस महानिदेशक के पद से ही सेवानिवृत्त सूर्य कुमार शुक्ला भी भगवा ओढ़कर राजनीति में अपनी जगह बनाने के प्रयासों में लगे हैं।

पूर्व आइपीएस अधिकारी स्वर्गीय अहमद हसन ने भी सेवाकाल पूरा होने के बाद सपा की सदस्यता ग्रहण की और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

कई आइएएस अधिकारियों ने भी खादी पहनकर दूसरी पारी में माननीय बनने का सफर आसान किया। इनमें पूर्व आइएएस अधिकारी कृष्ण करुणाकरण नायर, पीएल पुनिया, अरविंद शर्मा समेत कई नाम शामिल हैं। पुनिया ने कांग्रेस का दामन थामने के बाद संसद तक का सफर तय किया था।

वीआरएस लेकर कई अधिकारियों ने सियासी रण में दी दस्तक

पूर्व आइपीएस अधिकारी अरविंद सेन इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर फैजाबाद सीट से किस्मत आजमाने को तैयार हैं। वह पूर्व सांसद स्वर्गीय मित्रसेन यादव के पुत्र हैं, जबकि बसपा के टिकट पर मथुरा सीट से इस बार पूर्व आइआरएस अधिकारी सुरेश सिंह मैदान में हैं। कई अधिकारी तो ऐसे भी रहे, जिन्हें वीआरएस लेकर चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमाने का दांव चला और सफल रहे।

पिछले विधानसभा चुनाव में दो ऐसे अधिकारी दूसरों के लिए नजीर बने। इनमें आइपीएस अधिकारी असीम अरुण व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह के नाम शामिल हैं। दोनों ने वीआरएस लेकर भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। आइपीएस अधिकारी महेन्द्र सिंह यादव भी वीआरएस लेने के बाद भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे।

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