Lalji Tandon: सत्ता का केंद्र जो मकान था, वहीं से अनन्त यात्रा पर निकले बाबू जी
Lalji Tandon हिरन पार्क के सामने सोंधी टोला का ये मकान चौक की एक पहचान रहा हर खास ओ आम के लिए खुले रहे इस घर के दरवाजे।
लखनऊ [ऋषि मिश्र]। Lalji Tandon: 12 अप्रैल 1935 में हिरन पार्क सोंधी टोला के सामने एक पुराने मकान में लालजी टंडन का जन्म हुआ था। चौक के इस मकान ने ना जाने कितने सियासी रंग देखे। यहां से ही छात्र राजीनीति करने वाले टंडन जी 60 के दशक में पार्षद बने। साल 1990 के बाद जब जब भाजपा या सहयोग वाली सरकार बनी वे सरकारों की मुख्य भूमिका में रहे।
कभी आवास और नगर विकास तो कभी बिजली मंत्री बने। जब अटल बिहारी बाजपेई प्रधानमंत्री बने तो चौक का ये मकान उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की सत्ता का भी केंद्र बन गया था। प्रदेश में उस वक्त होने वाले राजनैतिक परिवर्तनोंं के पीछे कहीं न कहीं लाल जी टंडन हुआ करते थे। सोंधी टोला का वह दो मंजिला बड़ा मकान मानो आज खुद उदास था। मोहल्ले में उम्र की सीमाएं अंतिम दर्शन करते वक्त मिट गई थी। किसी के वे चाचा, किसी के ताऊ, किसी के बड़े भाई और कोई पिता तुल्य बता रहा था। बुजुर्ग रो रहे थे।
अनेक मुस्लिम बुजुर्ग भी लालजी टंडन को याद कर रहे थे। टंडन जी के रिश्ते में भतीजे विनोद खन्ना ने बताया कि ये समय इस आंगन से जुड़ी जाने कितनी ही बातों को याद दिला रहा है। यहां रोज लोगों की परेशानियां सार्वजनिक रुप से बाबू जी सुना करते थे। मगर बंद कमरों में सत्ता का संचालन भी किया जाता था। अमीर गरीब, पक्ष विपक्ष सभी के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले थे। कुछ वैसे ही इस घर के दरवाजे हर खास ओ आम के लिए आज भी खुले रहे। टंडन जी मृत्यु शैय्या पर भी आज सबसे मिले। मगर अपने पीछे छोड़ गए सोंधी टोला का ये मकान और उनकी यादें।