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दुर्घटना में पैर गंवाने वाले फाइटर पायलट का जज्‍बा बरकरार, क्रिकेट के माध्‍यम से मुख्‍यधारा में आने का प्रयास

अभय प्रताप सिंह ने 2016 में व्हीलचेयर क्रिकेट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की और लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वह भारतीय ह्वीलचेयर क्रिकेट टीम के उपाध्यक्ष हैं। एसोसिएशन के संस्थापक के तौर पर उन्‍होंने अपने जैसे दिव्यांगों को ह्वीलचेयर क्रिकेट से जोड़कर पूरी टीम तैयार कर ली है।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Fri, 10 Dec 2021 03:41 PM (IST)
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ह्वीलचेयर क्रिकेट इंडिया एसोसिएशन की पहल, अभियान चलाकर ऐसे लोगों को कर रहे जागरूक।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। कहते हैं कि यदि आपके अंदर हौसला है तो बड़ी से बड़ी परेशानियां भी छोटी पड़ जाती हैं। कभी फाइटर विमान उड़ाकर देश के दुश्मनों के अंदर दहशत पैदा करने वाले फाइटर पायलट रहे अभय प्रताप सिंह की एक हादसे में पैर खराब हो गए। अब वह ह्वीलचेयर के सहारे क्रिकेट के माध्यम से न केवल लखनऊ बल्कि अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं। एसोसिएशन के संस्थापक के तौर वह अपने जैसे दिव्यांगों को ह्वीलचेयर क्रिकेट से जोड़कर पूरी टीम तैयार कर ली। 2016 में व्हीलचेयर क्रिकेट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना कर वह लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वह भारतीय ह्वीलचेयर क्रिकेट टीम के उपाध्यक्ष हैं। टीम के कप्तान सोमजीत सिंह ने तो अपनी अलग पहचान बना ली है। 2014 से वह ह्वीलचेयर पर क्रिकेट खेल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एसोसिएशन खेल के माध्यम से व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को पुनर्वास प्रदान कर रही है। संगठन का उद्देश्य व्हीलचेयर से बंधे लोगों को क्रिकेट के माध्यम से सम्‍मान और स्वतंत्र के साथ रहने के लिए एक मंच प्रदान करना है। डब्लूसीआइए को पहली भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम बनाने का श्रेय है। हम अन्य देशों में भी व्हीलचेयर क्रिकेट को शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डब्लूसीआइए दो महीने के लंबे अभियान को चिह्नित करने के लिए अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ट्रेलर लांच किया है, जो ड्राइविंग करते वक़्त दिव्यांगता समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को छूएगा।

वीडियो बनाकर करते हैं जागरूक : सोमजीत सिंह ने बताया कि एसोसिएशन की ओर व्हीलचेयर के माध्यम से सड़क पर निकलते हैं और बरती जाने वाली सावधानियों से भी रूबरू कराया जाता है। वीडियो दिव्यांगता ड्राइविंग के आसपास के पूर्वाग्रहों के बारे में बात करता है और बताता है कि कैसे दिव्यांग समुदाय को बिना किसी हिचकिचाहट के सड़कों पर आने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है। इस अभियान का मकसद एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अक्सर अनदेखी किए गए कौशल को संबोधित करना है। 'ड्राइविंग' एक ऐसा जरिया है, जिससे लोगों की ज़िंदगी को काफी हद तक बदल सकते हैं। ड्राइविंग लोगों की कई तरह से मदद करती है। यह बहुत से अवसरों के द्वार भी खोलती है और लोगों को अपने आप में सशक्त महसूस कराती है।

विद्यालयों में भी चलता है अभियान : टीम के सदस्य बहुस्तरीय अभियान के तहत स्कूलों में विद्यार्थियों के बीच सेमिनार, प्रतियोगिता जैसे लेखन, कविता, समावेशिता पर पेंटिंग के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बताया क‍ि आम युवाओं तक पहुंचने और उन्हें जागरूक करने के लिए विश्वविद्यालयों और कालेजों में कैंपस एंबेसडर नियुक्त किए जाएंगे।