Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

आपदा के असुर : जमाखोर ले रहे यूक्रेन की आड़, लोहे के दाम छू रहे आसमान, दस दिनों में इतना पड़ा असर

Russia Ukraine News रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग की आड़ में लोहा बाजार महंगाई से गर्म हो रहा है। 10 दिन में सरिए के दाम में 15 सौ रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोत्तरी। कच्चे माल की कीमतों में भी उछाल आमजन हलकान।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Sun, 06 Mar 2022 10:37 PM (IST)
Hero Image
रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग से कच्चे माल की कीमतों में भी उछाल।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग की आड़ में लोहा बाजार महंगाई से गर्म हो रहा है। सरिया निर्माण के लिए प्रयोग होने वाले कच्चे माल की जमाखोरी की आशंका के चलते सरिए के रेट कुछ ही दिनों में 15 रुपये किलो तक बढ़ा दिए गए हैं। जानकार इसके पीछे कच्चे माल की जमाखोरी और मुनाफाखोरी को कारण मान रहे हैं। आड़ लिया जा रहा है यूक्रेन और रूस का जबकि कोयला और आयरन स्क्रैप का आयात इंडोनेशिया और ब्राजील देश से जुड़ा है। लोहे के रेट यूक्रेन पर हमले की आड़ लेकर बढ़ाना आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।

नगर के लोहिया बाजार सहित अन्य बाजारों में बिक रहे सरिए के रेट तेजी से बढ़े हैं। फुटकर बाजारों में सरिये का रेट सात हजार रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया, जबकि यूक्रेन हमले से पूर्व सरिया लगभग पांच हजार रुपये प्रति कुंतल बिक रहा था। मिल संचालक महंगाई बढ़ने पर कच्चा माल महंगा होने की बात कहने लगे हैं, जबकि जो भी कच्चा माल सरिया निर्माण में प्रयोग होता है। उसका ताल्लुक यूक्रेन या रूस से बिलकुल भी नहीं है।

कच्चा माल और स्क्रैप भी महंगा

एसोसिएशन आफ स्टील रोलिंग मिल्स एडं फम्र्स के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि रोङ्क्षलग मिलों में सरिया निर्माण के लिए अधिक मात्रा में स्पोंज आयरन की जरूरत पड़ती है। यह स्पोंज आयरन कोयला और आयरन से मिलकर बनती है। आयरन का रेट पिछले दस दिनों में 30 रुपये प्रति किलो से 42 रुपये प्रति किलो हो गया है। यह आयरन बड़ी संख्या में ब्राजील से आयात होता है, जिसमें भाड़ा अलग लगता है। वहीं, कोयला दस दिन पहले 800 रुपये टन था, जो अब 1900 रुपए टन मिल रहा है। इसके अलावा इंडोनेशिया सहित विभिन्न राज्यों से आने वाली स्क्रैप के रेट भी लगभग आठ रुपये किलो बढ़कर 50 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। इससे मिलों को सरिये का रेट बढ़ाने पड़े हैं। उन्होंने बताया कि जिन देशों से कच्चा माल आता है। वहां युद्ध का असर नहीं है, लेकिन कच्चे माल की जमाखोरी होने से यह महंगाई बढ़ने की आशंका है। सर्वोत्तम रोलिंग मिल के निदेशक संजय जैन का कहना है कि 27 फरवरी तक थोक सरिया के रेट लगभग 50 से 52 हजार रुपये टन था, जो अब 66 से 70 हजार रुपए टन तक पहुंच गया है।

जमाखोरी-मुनाफाखोरी पर लगे रोक

लोहा व्यापारी राकेश पांचाल ने बताया कि जब से सरिये के रेट बढऩे शुरू हुए हैं। बाजार में ग्राहक भी घट गए हैं। जसवंत पुरी निवासी पंकज कुमार का कहना है कि सरिये के रेट आसमान छूने की बात समझ नहीं आ रही है। यह सब जमाखोरी और मुनाफाखोरी का खेल है। सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए। कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए प्रशासन को छापामार अभियान शुरू करना चाहिए।

सभी मिल बढ़ा रहीं दाम

लोहा उद्यमी भीमसेन कंसल ने बताया कि जनपद में करीब 14 सरिया मिले हैं, जिसमें आरएसएम सरिया, बरनाला, भारत रोलिंग मिल, सर्वोत्तम रोलिंग मिल, राना सरिया, सतगुरु सरिया, टिहरी सरिया, बालाजी रोलिंग मिल आदि बड़ी रोलिंग मिलें है। हर दिन ऊपर से रेट निर्धारित होने के साथ ही सभी मिलों से एक रेट पर सरिया विक्रय होता है, जिससे बाजार में सरिया महंगा बिक रहा है।