पीलीभीत में डिप्थीरिया का कहर; एक बच्चे की मौत, 22 संदिग्ध; इन लक्षणों से करें बीमारी की पहचान
अब तक 22 बच्चों में डिप्थीरिया के लक्षण मिले हैं तीन में डिप्थीरिया की पुष्टि हुई है। छह वर्षीय बच्चे की लखनऊ के केजीएमसी में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई है। डिप्थीरिया के लक्षणों में टॉन्सिल और गले पर मोटी भूरे रंग की कोटिंग बेचैनी ठंड लगना बुखार तेज खांसी गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां गले में खराश और सांस लेने और निगलने में कठिनाई शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जिले में डिप्थीरिया (गलाघोंटू) के लक्षण अनेक बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं। विगत पहली जनवरी से लेकर अब तक डिप्थीरिया संदिग्ध 22 बच्चे मिल चुके हैं, जिसमें से तीन में डिप्थीरिया की पुष्टि हो चुकी है। तीन में से एक बच्चे की लखनऊ केजीएमसी में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। डिप्थीरिया संदिग्ध बच्चों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
विगत 8 अगस्त को बरखेड़ा के खमरिया में नौ वर्षीय दो जुड़वां भाइयों उमर व फरमान में डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए थे। जानकारी मिलने पर दोनों को राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन संचालित जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां इलाज की समुचित व्यवस्था न होने के कारण दोनों बच्चों को लखनऊ रेफर कर दिया।
पीलीभीत से रेफर किया बच्चा
इसके अगले दिन पूरनपुर क्षेत्र के भाई-बहन कशिश व अमन में डिप्थीरिया के लक्षण देखने को मिले। इन दोनों को भी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। कशिश की हालत बिगड़ती देखबर निजी चिकित्सक को बुलाकर इलाज कराया गया। हालत में सुधार न होने पर बच्ची को लखनऊ रेफर कर दिया गया। इसके बाद से अब तक करीब आठ बच्चों में गलाघोंटू के लक्षण पाए जा चुके हैं।
एक छह वर्षीय डिप्थीरिया संदिग्ध बच्चे की मृत्यु हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार डिप्थीरिया संदिग्ध बच्चों का सैंपल लेकर जांच के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) भेजे गए हैं।
डिप्थीरिया (गलाघोंटू) बीमारी के लक्षण
- टॉन्सिल और गले पर एक मोटी भूरे रंग की कोटिंग
- बेचैनी होना
- ठंड लगना
- बुखार आना
- तेज खांसी होना
- गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां
- गले में खराश
- सांस लेने और निगलने में कठिनाई
डिप्थीरिया से बचाव के लिए सरकार दे रही मुफ्त वैक्सीन
डिप्थीरिया से बचाव के लिए सरकार व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा निर्देशन में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में 14 गंभीर रोगों से बचाव के लिए निश्शुल्क टीकाकरण किया जाता है। डिप्थीरिया से बचाने के लिए बच्चों को अलग-अलग चरणों में डीपीटी व पेंटावैलेंट वैक्सीन की डोज दी जाती है। इसके लिए नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या एएनएम से संपर्क किया जा सकता है।
पहली जनवरी से लेकर अब तक जिले में डिप्थीरिया संदिग्ध 22 बच्चे सर्विलांस के दौरान पाए गए हैं। इनमें से तीन बच्चों के सैंपल की जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि हुई है। जिन तीन बच्चों में रोग की पुष्टि हुई, उनमें से एक ही लखनऊ के केजीएमसी में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई है। दो अन्य का इलाज चल रहा है। - डा. आलोक कुमार, सीएमओ