Mukhtar Ansari: गैंगस्टर एक्ट में मुख्तार को दस व साेनू यादव को पांच वर्ष की कारावास
Mukhtar Ansari Latest Update अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट अरविंद मिश्रा की अदालत ने माफिया मुख्तार अंसारी और उसके करीबी सोनू यादव को वर्ष 2010 के गैंगस्टर के मुकदमे में दोषी करार दिया था। शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दस वर्ष की सजा और पांच लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है।
संवाद सहयोगी, गाजीपुर । अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट अरविंद मिश्रा की अदालत ने माफिया मुख्तार अंसारी और उसके करीबी सोनू यादव को वर्ष 2010 के गैंगस्टर के मुकदमे में दोषी करार दिया था। शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दस वर्ष की सजा और पांच लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है।
वहीं सोनू यादव को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाते हुए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहा। इस दौरान कोर्ट परिसर के बाहर सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी। मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में तीसरी बार दस साल की सजा सुनाई गई है।
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19 अप्रैल 2009 को हुए करंडा के सुआपुर निवासी कपिलदेव सिंह हत्याकांड और 24 नवंबर 2009 को मुहम्मदाबाद के मीरहसन की हत्या के प्रयास को गैंगचार्ट में शामिल करते हुए माफिया मुख्तार अंसारी व सोनू यादव निवासी परसहीं के खिलाफ करंडा थाने में दो जून 2010 को गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था।
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इसकी सुनवाई पहले हाईकोर्ट में चल रही थी। मार्च 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से केस ट्रांसफर होकर जनपद के एमएपी-एमएलए कोर्ट में आया। तब से सुनवाई चल रही थी। कुल 135 तारीखें पड़ीं हैं। गुरुवार को सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी व सोनू यादव को दोषी करार देते हुए फैसले की तिथि शुक्रवार को नियत की।
कोर्ट में अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव, मुख्तार के अधिवक्ता लियाकत अली के साथ मुख्तार अंसारी भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से उपस्थित रहा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। अभियोजन पक्ष के सहायक शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्तार अंसारी को अब तक पांच केस में सजा हो चुकी है।
इन सभी को देखते हुए अधिक से अधिक सजा सुनाई जाए। विपक्षी अधिवक्ता लियाकत अली ने बचाव में तर्क दिया कि अधिक उम्र व कई बीमारियां है। कम से कम सजा देने का अनुरोध किया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने उपरोक्त फैसला सुनाया।