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प्रयागराज: गंगा-यमुना में प्रदूषण पर NGT ने बनाई उच्चस्तरीय कमेटी, कहा था-गंगा का पानी पीने योग्य न आचमन योग्य

एनजीटी ने संगमनगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर दो महीने में रिपोर्ट मांगी गई है। बिना शोधित नालों का पानी गिराने पर नगर निगम प्रयागराज पर 129 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। गंगा-यमुना के प्रदूषण और खुले नालों का पानी बिना शोधित कर गिराए जाने पर जनवरी 2024 में याचिका दायर की गई थी।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 25 Sep 2024 09:05 PM (IST)
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गंगा-यमुना में प्रदूषण को लेकर NGT सख्‍त। जागरण

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। संगमनगरी में गंगा-यमुना में प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है और उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है। दो महीने में इस कमेटी से रिपोर्ट मांगी गई है।

एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी एवं विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल के कोरम ने यह आदेश याची सह अधिवक्ता सौरभ तिवारी तथा कमलेश सिंह की याचिका पर दिया है। मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

अधिवक्ता सौरभ तिवारी के अनुसार माघ मेला के दौरान गंगा-यमुना के प्रदूषण और खुले नालों का पानी बिना शोधित कर गिराए जाने पर जनवरी, 2024 में याचिका दायर की गई थी। एनजीटी ने तब सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उप्र (यूपीपीसीबी) और जिलाधिकारी प्रयागराज की अगुवाई में जांच समिति गठित की थी।

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सदस्य सचिव यूपीपीसीबी की कमेटी ने 26 अप्रैल को रिपोर्ट सौंपी। पहली जुलाई को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि प्रयागराज में गंगा का पानी पीने योग्य है न आचमन योग्य।

बिना शोधित कुल 44 नाले गिर रहे

क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सौरभ तिवारी की याचिका के दृष्टिगत 19 सितंबर को जो जवाब एनजीटी को दिया है उसके मुताबिक महाकुंभ 2025 के पहले तीनों निर्माणाधीन एसटीपी तैयार नहीं हो पाएंगे। गंगा-यमुना में गिरने वाले नालों के मल-जल का शुद्धीकरण विशेष तकनीक से कराया जाएगा।

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शपथपत्र के अनुसार गंगा और यमुना में बिना शोधित कुल 44 नाले गिर रहे हैं। यह भी बताया गया है कि गंगा एवं यमुना में बिना शोधित पानी गिरने पर नगर निगम प्रयागराज के खिलाफ पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 129 करोड़ रुपये का जुर्माना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नौ अगस्त 2024 को लेकर लगाया है।

इससे पहले तीनों निर्माणाधीन एसटीपी पर क्रमशः 25 हजार, 25 हजार एवं 37,500 रुपये का जुर्माना पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 12 जनवरी, 2024 को लगाया गया था।