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अंतत: कोल हैंडलिग प्लांट की जिम्मेदारी आका लाजिस्टिक

उत्पादन निगम की कई परियोजनाओं के बाद अब ओबरा तापीय परियोजना के कोलहैंडलिग प्लांट के संचालन आका लाजिस्टिक को देने की तैयारी कर ली गयी है।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 24 Aug 2019 06:28 AM (IST)
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अंतत: कोल हैंडलिग प्लांट की जिम्मेदारी आका लाजिस्टिक

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : उत्पादन निगम की कई परियोजनाओं के बाद अब ओबरा तापीय परियोजना के कोल हैंडलिग प्लांट के संचालन का जिम्मा आका लाजिस्टिक को देने की तैयारी कर ली गई है। गुरुवार को संचालन के लिए हुए टेंडर का दूसरा भाग खुलने के बाद अंतत: आका लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के ही पक्ष में संचालन का जिम्मा आया है। इस मामले में कई विसंगतियों के संकेत भी मिलने लगे हैं। खासकर जानकारी के अनुसार नई निविदा में संचालन लागत छह करोड़ बढ़ गई है। गत डेढ़ वर्ष से इसकी संभावना जताई जा रही थी। खासकर कोल हैंडलिग प्लांट के एकल निविदा से 250 संविदा श्रमिकों के बेरोजगारी की तलवार लटकने लगी है। जिसको लेकर शनिवार को विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति की होने वाली सभा में भारी विरोध सामने आ सकता है। 22.93 करोड़ पहुंचा संचालन खर्च

खुले टेंडर में न्यूनतम दर वाले आका लाजिस्टिक को संचालन का जिम्मा मिला है। नाम न छापने की शर्त पर परियोजना के एक अधिकारी ने बताया कोल हैंडलिग प्लांट के संचालन के लिए लोकनाथ कंस्ट्रक्शन, रेंगा इंजीनियरिग व‌र्क्स एवं आका लाजिस्टिक ने निविदा भरी थी। जिसमें 22.93 करोड़ का न्यूनतम दर वाले आका लाजिस्टिक के पक्ष में यह निविदा गयी है। ओबरा ताप विद्युत गृह में 1000 मेगावाट क्षमता के मशीनों के लिए कोयला संचालन संयंत्र के परिचालन एवं अनुरक्षण संबंधी सभी निविदाओं का खर्च 02 वर्ष में लगभग 17 करोड़ आता है। जिसमें अब एकल निविदा प्रक्रिया में लगभग छह करोड़ की वृद्धि हो गई है। ऊर्जा मंत्री के हस्तक्षेप पर एकल निविदा हुई थी निरस्त

गत मार्च में ही कोल हैंडलिग प्लांट में एकल निविदा की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया था। ऊर्जा मंत्री को हुई शिकायत के बाद उत्पादन निगम प्रबंधन ने मेसर्स एका लाजिस्टिक की निविदा को निरस्त कर दिया था। गत जून 2018 में उत्पादन निगम प्रबंधन ने कोयला संचालन संयंत्रों के विभिन्न खंडों में कार्यरत निविदाओं को एकीकृत करने हेतु द्विवर्षीय खुली ई निविदा आमंत्रित करने का अनुमोदन प्रदान किया था। ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा बीते 23 फरवरी 2018 को भेजे गये प्रस्ताव पर प्रबंधन ने यह स्वीकृति दी थी। उक्त फर्म को रु. 16.81 के अनुमानित लागत में यह कार्य दिया जा रहा था। लेकिन गुरुवार को पुन: खुले टेंडर में लागत में 6.12 करोड़ की वृद्धि हो गयी। जानकारी के अनुसार तकनीकि कारणों से लोकनाथ कंस्ट्रक्शन को पहले ही अयोग्य कर दिया गया था। इसके अलावा निविदा में 30 जून 2019 तक कार्यपूर्ण का अनुभव मांगा गया था लेकिन जानकारी के अनुसार रेंगा इंजीनियरिग का कार्यपूर्ण का अनुभव 31 जुलाई को पूरा हो हुआ है। जो जांच का विषय हो सकता है।