Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

जापान की तर्ज पर बनारस में खुलेगा स्वच्छता प्रशिक्षण का एक्सीलेंस सेंटर, बच्चों को स्वच्छता के लिए किया जाएगा जागरूक

जापान से प्रशिक्षण लेकर लौटे नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि वहां कूड़ा रखने के लिए 40 रुपये की एक पीले रंग की थैली दी जाती है जिसमें लोग अपने घरों का कूड़ा रखते हैं। सप्ताह में दो बार गाड़ी आती है और वह थैली में रखे कूड़े को उठाकर ले जाती है। इसी प्रकार यहां पर भी डस्टबिन के स्थान पर घर-घर थैली देने की योजना बनाई जाएगी।

By Ajay Krishna Srivastava Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 12 Mar 2024 05:05 PM (IST)
Hero Image
जापान की तर्ज पर बनारस में खुलेगा स्वच्छता प्रशिक्षण का एक्सीलेंस सेंटर

जागरण संवाददाता, वाराणसी। स्वच्छ काशी-सुंदर काशी की संकल्पना को जमीन पर उतारने के बाद अब इसे स्थायी रूप देने के लिए लोगों की आदत में लाने की तैयारी है। इसके लिए नगर निगम जापान की तर्ज पर बनारस में स्वच्छता प्रशिक्षण एक्सीलेंस सेंटर खोला जाएगा। इसमें बच्चों को साफ-सफाई को लेकर जागरूक किया जाएगा। स्कूली बच्चों को कूड़ा उठान से लेकर कूड़ा निस्तारण तक की जानकारी दी जाएगी। इसके तरीके बताए-सिखाए जाएंगे।

सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का लाभ और बेपरवाही के खतरों से अवगत कराया जाएगा। इस दूरदर्शी सोच के जरिए घर-घर व्यवहार परिवर्तन कराया जाएगा।

माना जा रहा है कि बच्चे प्रशिक्षित हो गए तो स्वच्छता का संदेश व तरीका हर घर-परिवार तक पहुंचाया जा सकेगा। जापान की तरह सालिड वेस्ट मैनेजमेंट इसके अलावा नगर निगम ने जापान की तर्ज पर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट करने का निर्णय लिया है।

जापान से प्रशिक्षण लेकर लौटे नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि वहां कूड़ा रखने के लिए 40 रुपये की एक पीले रंग की थैली दी जाती है, जिसमें लोग अपने घरों का कूड़ा रखते हैं। सप्ताह में दो बार गाड़ी आती है और वह थैली में रखे कूड़े को उठाकर ले जाती है। इसी प्रकार यहां पर भी डस्टबिन के स्थान पर घर-घर थैली देने की योजना बनाई जाएगी। चार तरह के कूड़ा निस्तारण जापान में चार प्रकार से कूड़ों का निस्तारण होता है। इनमें भस्मीकरण, पुर्नचक्रण, लैंडफिल व बैकफिलिंग शामिल है।

भस्मीकरण से कचरे का निबटारा करने के साथ ऊर्जा पैदा की जाती है। इससे संयंत्रों को बिजली मिलती है। पुर्नचक्रमण तरीके में इलेक्ट्रानिक्स व वाहनों समेत मेटल कचरे का निस्तारण कर दोबारा इस्तेमाल लायक बनाया जाता है। जो कचरा जलने लायक नहीं होता उनका इस्तेमाल लैंडफिल में किया जाता है।

बैक फिलिंग तकनीक से यह समुद्र में कृत्रिम द्वीप तैयार करते हैं। आपदा मलबे का भी बेहतर तकनीक से निस्तारण करते हैं। कूड़ाें को इस प्रकार से जलाते हैं कि उसमें से खतरनाक गैस पूरी तरह खत्म हो जाए और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। जापान के क्योटो शहर में सिर्फ सफाई पर 800 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं।

नाला सफाई ट्रायल के लिए खरीदी जाएगी मशीन

नगर आयुक्त ने कहा कि सालिड वेस्ट निस्तारण की तकनीक समझने के लिए मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा, नगर विकास विभाग के विशेष सचिव सत्य प्रकाश पटेल भी जापान गए थे। इस दौरान सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के संबंध में जापान के चार प्रकार से तकनीक काे समझा गया। जापान कचरे के कुशल और स्वच्छतापूर्ण संग्रह पर जोर दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि यहां भी नाला सफाई के ट्रायल के लिए दो मशीनें खरीदी जाएंगी। बेहतर परिणाम मिलने पर हर जोन के लिए मशीनें खरीदी जाएंगी। गाजियाबाद में मशीनों से ही नालों की सफाई होती है। यहां पर भी नाला सफाई मशीनों से कराई जाएगी। पहले यहां सफाई कर्मचारी नालों की सफाई करते थे।

यह भी पढ़ें-

वाराणसी के सिगरा चौराहे पर धंसी सड़क, छह फुट चौड़ा गड्ढा हुआ; अखि‍लेश ने योगी सरकार पर कसा तंज