रामनगर बलुआघाट हादसा: IIT BHU करेगी गुणवत्ता की जांच, दोषियों पर होगी कार्रवाई
Varanasi News रामनगर बलुआघाट हादसे की जांच के लिए आईआईटी बीएचयू ने कमर कस ली है। जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय टीम ने घटनास्थल से नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार के आरोप में सहायक अभियंता और अवर अभियंता को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। रामनगर बलुआघाट पर गजीबो (मंडपनुमा संरचना) का गुंबद गिरने से एक मजदूर की मौत होने पर उठ रहे गुणवत्ता की जांच आइआइटी बीएचयू करेगा। जिलाधिकारी एस राजलिंगम की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने घटना स्थल पर नमूना लेने के साथ आइआइटी बीएचयू भेज दिया है।
जांच रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार के आरोप में सहायक अभियंता दिलीप कुमार और अवर अभियंता रेनू जायसवाल पहले ही निलंबित हो चुकी हैं। वहीं, महाप्रबंधक दिनेश कुमार को सिंचाई विभाग में वापस भेजने के साथ प्राेजेक्ट मैनेजर प्रवीण शर्मा को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
12 सितंबर को दोपहर में बारिश के बाद अचानक गुंबद भर भराकर गिरने और उसमें बैठे चंदौली के रहने वाले 57 वर्षीय मेवालाल की दबने से मौत हो गई। पास के रहने वाले भाईलाल का कुत्ता भी बैठा था, वह भी चपेट में आ गया।
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घटना के दूसरे दिन जिलाधिकारी एस राजलिंगम की ओर से अपर जिलाधिकारी (नगर) आलोक वर्मा के नेतृत्व में गठित टीम में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आशुतोष सिंह, सिंचाई विभाग मंडी प्रखंड के अधिशासी अभियंता राजेश यादव, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता विनोद राय पहुंचे।
जिलाधिकारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट रहा है कि कार्य स्थल पर निर्मित छतरी अकुशल कारीगरी के कारण स्टेबल नहीं थी, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई। जांच कमेटी के निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि छत में प्रयुक्त पत्थरों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त एडेसिव/फिलर मटेरियल लगाने का कार्य (वर्कमैनशिप) प्रथम दृष्टया संतोषजनक नहीं था।
जोड़ने के लिए पत्थरों में ग्रूप उपयुक्त नहीं थे और जोड़ने में क्रैंप का भी प्रयोग नहीं पाया गया। संबंधित छतरी के तकनीकी संस्थान से स्वीकृत/वेट किया हुआ ड्राइंग एवं डिजाइन जांच कमेटी ने मांगी लेकिन कार्यदायी संस्था ने उपलब्ध नहीं कराई। कार्य स्थल पर दो और आक्टागोनल छतरी निर्मित है, जिनकी स्टेबिलिटी संशयपूर्ण है।
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उनका उपयोग जनमानस के लिए सुरक्षित प्रतीत नहीं हो रहा है। निर्मित अवशेष स्ट्रक्चर में कमियां दिखाई दे रही है। इससे स्पष्ट होता है कि कार्यदायी संस्था की ओर से खराब सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। संबंधित अधिकारी ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया, यदि वे समय-समय पर निरीक्षण करने के साथ निर्देश दिए होते तो शायद ऐसी कोई घटना नहीं होती।