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Varanasi: बीएचयू अस्पताल में होगी रोबोटिक सर्जरी, बढ़ेंगे आईसीयू के 50 बेड, बेहद कम समय में होगा इलाज

बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को डेढ़ साल बाद स्थायी निदेशक मिला है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के सीएमएस रहे प्रो. एसएन संखवार ने जिम्मेदारी संभाली है। पांच प्रांत और नेपाल से आने वाले आठ हजार से अधिक मरीजों को प्रतिदिन बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। सर सुंदरलाल अस्पताल ट्रामा सेंटर की सुविधाएं बेहतर करने के लिए उन्होंने कई योजनाओं पर काम शुरू किया है।

By Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Sat, 30 Sep 2023 07:21 PM (IST)
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बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को डेढ़ साल बाद स्थायी निदेशक मिला है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को डेढ़ साल बाद स्थायी निदेशक मिला है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के सीएमएस रहे प्रो. एसएन संखवार ने जिम्मेदारी संभाली है। पांच प्रांत और नेपाल से आने वाले आठ हजार से अधिक मरीजों को प्रतिदिन बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है।

सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर और आयुर्वेद अस्पताल की सुविधाएं बेहतर करने के लिए उन्होंने कई योजनाओं पर काम शुरू किया है। कई नए प्रयोग होने वाले हैं। शोध क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी कई योजनाएं हैं। उन्होंने उप मुख्य संवाददाता संग्राम सिंह से अपनी प्रमुख योजनाएं साझा कीं। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश ...।

बीएचयू अस्पताल में आइसीयू के बेड बहुत कम हैं। लंबी वेटिंग रहती है। इस समस्या को कैसे दूर करेंगे?

50 बेड का नया आइसीयू स्थापित किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार करने के लिए काम शुरू हुआ है। पहले प्रस्ताव भेजा गया था, उस पर नए सिरे से मंथन होगा। सीएसआर की मदद ली जाएगी। मरीजों की जान बचाने के लिए संसाधन बढ़ाए जाने जरूरी हैं। विभागों में खाली पड़े सीनियर और जूनियर रेजिडेंट के पद भरे जाएंगे। इस संबंध में कुलपति से वार्ता करने के बाद नए सिरे से कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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आप यूरोलाजी के विशेषज्ञ हैं। केजीएमयू को बहुत कुछ दिया है। बीएचयू में भी नवाचार जरूर कुछ सोचे होंगे?

किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा फिर से शुरू करने जा रहे हैं, कारण कि यहां बहुत संभावनाएं है। बोन मैरो व आर्गन ट्रांसप्लांट की व्यवस्था यहां पहले से है लेकिन अमल में नहीं लाया जा सका है। इन सुविधाओं से अधिकांश मरीजों तक अपनी पहुंच बनाएंगे। रोबोटिक सर्जरी पर विशेष जोर देंगे क्योंकि आने वाला समय इसी का है। एसजीपीजीआइ में रोबोटिक सर्जरी शुरू हो चुकी है जबकि केजीएमयू में प्रयास चल रहा। बीएचयू में भी रोबोट और ट्रेनिंग की व्यवस्था हो जाए तो मरीजों को सुविधा मिलनी शुरू हो जाए। किडनी, हार्ट, फेफड़ा, गैस्ट्रो व जनरल सर्जरी में इसका प्रयोग होगा।

आप लंबे समय तक केजीएमयू लखनऊ से जुड़े रहे। उस संस्थान की तुलना में बीएचयू में क्या फर्क महसूस करते हैं?

केजीएमयू में भी बहुत मरीज आते हैं लेकिन वहां लोगों के पास अधिक विकल्प मौजूद हैं जबकि यहां पर बीएचयू जैसा कोई दूसरा संस्थान उपलब्ध नहीं है। सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। मरीजों को कम समय में इलाज की सुविधा मिलेगी। उन्हें जांच के लिए परेशान नहीं होना पड़े, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

शोध क्षेत्र में बीएचयू कैसे दूसरे संस्थानों से मुकाबला करेगा। आइएमएस की क्या तैयारी है?

बीएचयू में मटेरियल काफी है। क्लीनिकल पेशेंट बहुत हैं, बस उन पर अध्ययन करने की विशेष आवश्यकता है। नए प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे। सीएसआर व आइसीएमआर स्तर पर शोध भी स्वीकृत कराएंगे। क्लीनिकल ट्रायल को गति मिलेगी। दूसरे संस्थानों से अनुबंध किया जाएगा। आइआइटी बीएचयू्, केजीएमओयू, सीबीआरआइ और एसजीपीजीआइ के साथ काम करते हुए इंस्टीट्यूट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत शोध को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यहां के छात्रों को दूसरे संस्थान की कार्यप्रणाली समझने का मौका मिलेगा।

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आपको दो दिन हुए कार्यभार संभाले। आप किन नई योजनाओं के साथ काम शुरू कर रहे हैं?

बीएचयू अस्पताल में छह प्रदेशों के मरीज आते हैं। चिकित्सा सुविधाएं सुदृढ़ हों, इसके लिए प्रयासरत हैं। ट्रामा सेंटर भी देखा है। पूरी टीम के साथ बैठक हुई। सुविधाएं और बेहतर की जा सकेगी।

केजीएमयू लखनऊ से आए हैं प्रो संखवार

प्रो. एसएन संखवार मूल रूप से कानपुर देहात के रसूलाबाद के मूल निवासी हैं। कानपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस, एमडी व एमएस के बाद उन्होंने एमसीएच पीजीआइ चंडीगढ़ से की है। बीएचयू के निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। वह ख्यात यूरोलाजिस्ट हैं। अपनी चिकित्सा और शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए जाने जाने वाले प्रोफेसर संखवार को सामान्य मूत्र विज्ञान, पुरुष बांझपन, एंडोरोलाजी और महिला मूत्र विज्ञान में विशेषता है। केजीएमयू में वह विभिन्न शैक्षणिक और प्रशासनिक क्षमताओं में योगदान देते रहे हैं।