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Famous Temples In Rudraprayag: यहां मां काली ने किया था शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध, नवरात्रों में होती है यहां विशेष पूजा

Famous Temples In Rudraprayag रुद्रप्रयाग जनपद में मां काली का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्‍यता है कि यहां मां काली ने स शुंभ और निशुंभ का वध किया था। रक्तबीज के संहार के बाद काली मां यहां अंर्तध्‍यान हो गई थी।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 07:13 PM (IST)
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रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ ब्‍लाक के केदारघाटी में गौरीकुंड हाईवे के पास स्थित है प्रसिद्ध काली मां का मंदिर।

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ ब्‍लाक के उच्च हिमालय क्षेत्र के केदारघाटी में गौरीकुंड हाईवे के पास स्थित है प्रसिद्ध काली मां का मंदिर। देवी भागवत कथा में लिखा है कि इसी क्षेत्र के मनसूना स्थान में दो बड़े बलशाली राक्षस शुंभ और निशुंभ रहते थे। इन दोनों राक्षसों ने जनता को सभी हदों तक प्रताड़ित किया। साथ ही कई निर्दोष लोगों को मार डाला। इसके बाद वे देवताओं को मारने के लिए उतारू हो गए।

शुंभ-निशुंभ के भय से सभी देवताओं ने देवी की आराधना की। इस पर देवी 14 वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हुई। इसके बाद देवी ने राक्षसों का संहार किया। कन्या राक्षसों का वध करती चली गर्इ। सबसे पहले चंड और मुंड राक्षसों का वध कर कालीमठ में दोनों के सिर एक कुंडी में गाड़ दिए। यह कुंडी आज भी कालीमठ के मुख्य मंदिर के अंदर देखी जा सकती है।

कालीमठ में शुंभ और निशुंभ राक्षस भी चंडिका से युद्ध करने गए। चंडिका ने दोनों राक्षसों का वध कर दिया। मान्यता है कि रक्तबीज के संहार के बाद काली मां इसी स्थान से अंर्तध्‍यान हो गई। कालीमठ मंदिर का मंदिर पूर्व में लकड़ी से निर्मित था। स्थानीय शैली में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है।

सिद्धपीठ में शामिल है यह मंदिर

कालीमठ में काली मां का मंदिर सिद्धपीठों में शामिल है। काली मां के दर्शन कर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। चैत्र व शारदीय नवरात्रों में यहां विशेष पूजा होती है। कालीमठ मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण के अंतर्गत केदारखंड में उल्लेख मिलता है। साथ ही मार्कण्डेय पुराण व देवी भागवत महापुराण में भी कालीमठ मंदिर का वर्णन मिलता है।

जयप्रकाश गौड़ (पुजारी, कालीमठ मंदिर रुद्रप्रयाग) का कहना है कि सिद्धपीठ कालीमठ में नवरात्रों में स्थानीय भक्तों के साथ ही देश-विदेश के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। नवरात्रों में जो भक्त श्रद्धाभाव एवं सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकमानाएं पूरी हो जाती है।

ऐसे पहुंचे मंदिर तक

कालीमठ मंदिर तक पहुंचने के लिए सर्वप्रथम ऋषिकेश से 130 किमी की दूरी तय कर रुद्रप्रयाग पहुंचे। इसके बाद रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड हाइवे जरिये 42 किमी की सफर कर गुप्‍तकाशी पहुंचे। इसके बाद गुप्‍काशी से 10 किमी की दूरी तय कर कालीमठ पहुंचे। यहां से सौ मीटर की दूरी तय कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।