चिंताजनक: उत्तराखंड में हरिद्वार में सबसे ज्यादा गरीबी, पहाड़ के लोग खुशहाल जिंदगी की तलाश में छोड़ रहे गांव
International poverty eradication day नीति आयोग की ओर से जारी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के चार जिले ऐसे हैं जहां शहरी गरीबी शून्य है मगर इन जिलों में ग्रामीण गरीबी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
हिमांशु जोशी, हल्द्वानी : International poverty eradication day : गरीबी उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के हालात में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। राज्य गठन के 22 साल बाद भी हरिद्वार की 29.55 प्रतिशत और अल्मोड़ा जिले की 27.71 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या गरीब है। यही वजह है कि सुविधाओं के अभाव में पर्वतीय क्षेत्र के लोग खुशहाल जिंदगी की तलाश में गांव छोड़ रहे हैं। गांव में रहने वाले अधिकांश लोग आजीविका के लिए दूसरे पर आश्रित हैं।
4 जिलों के शहरों में गरीबी के आंकड़े जीरो
सतत विकास लक्ष्य (SDG) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के चार जिले ऐसे हैं, जहां शहरी गरीबी शून्य है। जिनमें पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और चमोली शामिल हैं। जबकि इन जिलों में ग्रामीण गरीबी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ऐसे ही स्थिति अन्य जिलों की भी है, जहां ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी की तुलना में शहरी क्षेत्र के आंकड़े काफी संतोषजनक लगते हैं।
ये थे आधार
रिपोर्ट में गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन स्तर की कसौटी पर जांचा गया है। जीवन स्तर में सात मूलभूत सुविधाओं रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति धारण व बैंक खाता तक पहुंच को बतौर संकेतक लिया गया है।
गरीबी से पलायन का दंश झेल रहे लोग
विशेषज्ञों के मुताबिक, गरीबी के कारण पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों में यदि आजीविका विकास को तवज्जो दी जाए तो इससे लोगों को गांव में रोके रखने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।
- गरीबी उन्मूलन दूर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और गरीबों को संगठित करने पर जोर दिया जाना आवश्यक है, ताकि वे स्थायी गरीबी से बाहर आ सकें। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन, लघु उद्योग व जड़ी-बूटी उद्येाग की अपार संभावनाएं हैं।
जिलेवार गरीबी का स्तर (प्रतिशत में)
जिला - ग्रामीण - शहरी
हरिद्वार - 29.55 - 17.89
अल्मोड़ा - 27.71 - 2.98
ऊधमसिंह नगर - 26.68 - 17.62
उत्तरकाशी - 26.13 - 1.34
टिहरी गढ़वाल - 23.72 - 0
चंपावत - 22.68 - 20.90
बागेश्वर - 20.62 - 3.46
चमोली - 20.08 - 0
नैनीताल - 16.45 - 9.18
पिथौरागढ़ - 16.86 - 0
रुद्रप्रयाग - 14.91 - 0
पौड़ी गढ़वाल - 13.85 - 1.86
देहरादून - 12. 29 - 3.64
नोट- आंकड़े जुलाई 2022 में नीति आयोग की आेर से जारी एसडीजी की रिपोर्ट के आधार पर है।
गरीबी अपने साथ कई समस्याओं को लेकर आती है। गरीबी को दूर करने के लिए नीतियों और प्राथमिकताओं में बदलाव करने की जरूरत है। अक्टूबर 2020 में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना शुरू हुई, पर बेरोजगारों को तकनीकी दक्षता के अवसर मुहैया नहीं हो पाए। युवाओं को दक्ष बनाने के लिए सरकार उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति लागू करने जा रही है। उम्मीद है कि इससे हमें बेहतर परिणाम मिलेंगे।
- डा. ऊषा पंत जोशी, एसोसिएट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी