Uttarakhand Tunnel Collapse: युद्धस्तर पर जारी जिंदगी बचाने की जंग, वर्टिकल व हॉरिजांटल ड्रिलिंग से बढ़ रहे सुरक्षाकर्मियों के कदम
सभी टीमें इस पर काम कर रही हैं। पूरा जोर सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने पर है। सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी और आक्सीजन है। श्रमिकों को उचित मात्रा में खाना पहुंचाया जा रहा है। सुरंग के अंदर पर्याप्त जगह होने के साथ ही रोशनी भी उपलब्ध है। पाइप के जरिये श्रमिकों के स्वजन से उनकी बात कराई जा रही है।
सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग को पहुंचने लगीं मशीनें
राज्य सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी डा. नीरज खैरवाल के मुताबिक, सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर रेस्क्यू सुरंग और लाइफ लाइन सुरंग तैयार करने को मशीनें स्थापित करना शुरू कर दिया गया है। दोपहर तक मशीनों को स्थापित करने के लिए बेंच तैयार कर दिए गए थे, जबकि रात नौ बजे तक तीन ड्रिलिंग मशीन स्थापित हो चुकी थीं।बड़कोट छोर से टीएचडीसी ने की आठ मीटर ड्रिलिंग
महमूद अहमद के मुताबिक, बड़कोट की तरफ से हारिजांटल ड्रिलिंग का काम टीएचडीसी संभाल रही है। इस दिशा में तेजी से काम करते हुए ब्लास्टिंग के माध्यम से करीब आठ मीटर ड्रिलिंग कर ली है। इसी छोर से आरवीएनएल ने भी ड्रि¨लग की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, इस भाग से सुरंग के भीतर खाली भाग तक की दूरी 170 मीटर से अधिक है।इसी भाग के एक अन्य बिंदु पर ड्रिलिंग के लिए ओएनजीसी की मदद ली जा रही है और संस्थान के विशेषज्ञों ने भी अपना काम शुरू कर दिया है। ओएनजीसी समेत वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ ड्रिलिंग के अन्य स्थलों की राह सुगम बनाने में भी मदद करेंगे। बड़कोट छोर से ड्रिलिंग में बेशक चुनौती अधिक है, लेकिन श्रमिकों की जान बचाने को सभी विकल्पों पर गौर किया जा रहा है।श्रमिकों तक भेजे संतरे, केले और खुबानी
महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने बताया कि मंगलवार सुबह श्रमिकों तक छह इंच के लाइफ लाइन पाइप से संतरे, केले और खुबानी पहुंचाए गए। साथ में दवा, इलेक्ट्राल, नमक आदि भी भेजा गया है। अब पका हुआ भोजन खिचड़ी, रोटी-सब्जी भेजने की तैयारी है। एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलके के मुताबिक श्रमिकों से वार्तालाप के लिए वाकी-टाकी भी भिजवाया गया था, जिससे उनका हाल जाना गया।निरंतर बचाव अभियान की जानकारी ले रहे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरे दिन मंगलवार को भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली।स्वास्थ्य विभाग ने लगाई छुट्टियों पर रोक
महानिदेशक चिकित्सा डा. विनिता शाह ने मंगलवार को सिलक्यारा में बनाए गए छह बेड के अस्थायी अस्पताल समेत आसपास के सभी अस्पतालों का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया। इसके साथ ही उन्होंने अग्रिम आदेशों तक उत्तरकाशी जनपद में सभी चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगा दी है।विज्ञान और तकनीक के साथ आस्था से भी उम्मीद
सुरंग में श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एक ओर देश की प्रतिष्ठित एजेंसियों के इंजीनियर रात-दिन एक किए हुए हैं। वहीं, आस्था से भी उम्मीद की डोर बंधी हुई है। पिछले दिनों सुरंग के गेट पर दायीं ओर जो बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया था, वहां सुबह-शाम नियमित रूप से पूजा हो रही है। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नाल्ड डिक्स ने भी यहां मत्था टेका। पिछले दिनों सिलक्यारा पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने भी यहां पूजा की थी। बता दें कि स्थानीय निवासी सिलक्यारा समेत आसपास की भूमि को बौखनाग देवता की भूमि मानते हैं।यह भी पढ़ेंः Uttarakhand Tunnel Collapse: अगले 40 घंटों में आएगी 'अच्छी खबर'... मजदूरों को बचाने में जुटे दल ने दिया बड़ा अपडेटसुरंग के अंदर पर्याप्त पानी और आक्सीजन
नई दिल्ली: एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि बचाव अभियान की उम्मीद अमेरिकन औगर मशीन से की जा रही हारिजांटल ड्रिलिंग पर टिकी हुई है। हालांकि उन्होंने अभियान के लिए कोई समय सीमा निर्धारित करने से इनकार कर दिया।उन्होंने कहा-यह कोई आसान चुनौती नहीं है, इसलिए हम हर विकल्प तलाश रहे हैं। सभी टीमें इस पर काम कर रही हैं। हमारा पूरा जोर सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने पर है। सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी और आक्सीजन है। श्रमिकों को उचित मात्रा में खाना पहुंचाया जा रहा है।
सुरंग के अंदर पर्याप्त जगह होने के साथ ही रोशनी भी उपलब्ध है। पाइप के जरिये श्रमिकों के स्वजन से उनकी बात कराई जा रही है। ताकि सुरंग के अंदर श्रमिकों का मनोबल कम न हो। जितना अधिक श्रमिक अपने स्वजन से बातचीत करेंगे, उतना उनका मनोबल बढ़ेगा।