Uttarkashi Avalanche : दिसंबर में थी पर्वतारोही नवमी की शादी, तैयारियों में जुटा था परिवार, लेकिन आई बुरी खबर
Uttarkashi Avalanche शुक्रवार को जिला अस्पताल में नवमी का पार्थिव शरीर पहुंचा। पर्वतारोही बेटी नवमी रावत की शादी इसी वर्ष दिसंबर माह में तय थी। नवमी के स्वजन सदमे में हैं। जबकि सेना में तैनात उसका मंगेतर भी बेहद ही दुखी है।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : Uttarkashi Avalanche : आसमान छूती चोटियों को लांगने वाली युवा और होनहार पर्वतारोही बेटी नवमी रावत की शादी इसी वर्ष दिसंबर माह में तय थी। परिवार के सदस्य भी तैयारियों में जुटे गए थे। परंतु कुदरत को कुछ और मंजूर था।
4 अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा में आए हिमस्खलन ने इस बेटी की बड़ी उम्मीदों और सपनों को क्रेवास में दफन कर दिया। इस घटना ने नवमी के स्वजन सदमे में हैं। जबकि सेना में तैनात उसका मंगेतर भी बेहद ही दुखी है। जो घटना की सूचना मिलते ही छुट्टी लेकर पहुंचा।
बचपन से खेलकूद और सहासिक पर्यटन में थी दिलचस्पी
शुक्रवार को जिला अस्पताल में जब नवमी रावत का पार्थिव शरीर पहुंचा तो वह बेहद ही भावुक नजर आया। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 43 किलोमीटर दूर भटवाड़ी ब्लाक के भुक्की गांव निवासी नवमी रावत को बचपन से खेलकूद और सहासिक पर्यटन में खास दिलचस्पी थी।
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अपने भाई रविंद्र रावत और बहन कविता रावत को पर्वतारोहण व ट्रैकिंग से जुड़ा देकर नवमी की दिलचस्पी पर्वतारोहण के क्षेत्र में हुई। जिसके चलते होनहार पर्वतारोही बेटी निम का प्रशिक्षक बनी।
पिछले चार वर्षों के दौरान नवमी रावत ने देश विदेश के कई प्रशिक्षुओं को पर्वतारोहण की बारीकियां सिखायी। कुछ समय पहले नवमी रावत की शादी बयाणा गांव निवासी धर्मेंद्र राणा से तय हुई। दोनों बहुत प्यार करते थे तथा एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे।
दिसंबर में होने वाली थी नवमी की शादी
दिसंबर माह में नवमी व धर्मेद्र की शादी तय थी। परंतु 4 अक्टूबर को जब धर्मेंद्र राणा ने हिमस्खलन की घटना सुनी तो वह सेना से छुट्टी लेकर उत्तरकाशी आया और स्वयं भावुक होते हुए नवमी के स्वजन का ढांढस बंधता रहा।
जिला अस्पताल में जब नवमी की शव आया तो वह खासा भावुक और दुखी दिखा। नवमी के मामा राजेश रावत ने बताया कि नवमी की बयाणा निवासी धर्मेंद्र राणा से दिसंबर में शादी होने वाली थी।
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बस यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट गई। उत्साह की तैयारी करने वाला पूरा परिवार शोक की लहर में डूब गया। उन्होंने बताया कि नवमी का लक्ष्य सेना, आइटीबीपी और पुलिस में जाने का था।
पिछले चार वर्षों से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षक के पद पर तैनात थी और छह बार द्रौपदी का डांडा चोटी का आरोहण भी कर चुकी थी। नवमी अपने भाई बहनों में सबसे छोटी थी और घर की लाड़ली भी थी। शनिवार को पैतृक घाट में नवमी रावत का अंतिम संस्कार होगा।
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