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आखिर क्या गुल खिलाएगी तुर्की के अलावा इन तीन देशों की तिकड़ी, अमेरिका के लिए बन रहे खतरे का संकेत

अमेरिका के खिलाफ एक ऐसा गठजोड़ इस दौरान बनता दिखाई दे रहा है जो उसके लिए भविष्‍य में परेशानी का सबब बन सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये अमेरिका के घुर विरोधी देश हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 12:49 PM (IST)
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अमेरिका के कुछ विरोधी देशों का बन रहा है एक ग्रुप

नई दिल्ली (कमल कान्‍त वर्मा)। विश्व की महाशक्ति अमेरिका के आने वाले समय में चुनौतियां और खतरा बढ़ने के संकेत साफतौर पर दिखाई देने लगे है। रूस युक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद इसमें इजाफा ही हुआ है। दरअसल, इस युद्ध ने समूचे विश्व को काफी हद तक अलग-अलग धड़ों में बांट कर रख दिया है। इसमें एक धड़ा वो है जो अमेरिका के साथ है। दूसरा वो है जो उसके खिलाफ है। तीसरा वो है जो पूरी तरह से न्यूट्रल है।

इस युद्ध के शुरू होने के बाद कुछ देशों का ऐसा संगठन बनता दिखाई दे रहा है जो आने वाले समय में अमेरिका  के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला साबित हो सकता है। नए बनते इस गठबंधन में रूस के अलावा चीन और ईरान शामिल हैं। इस जी-3 देशों के संगठन में एक अहम भूमिका तुर्की भी निभा रहा है। इन सभी का अमेरिका से छत्तीस का आंकड़ा है। आईये जानते हैं कैसे:-

तुर्की ने हाल ही में रूस और ईरान के बीच एक अहम बैठक करवाई है। इस बैठक के अहम बिंदुओं में एक सीरिया भी था। तुकी और ईरान और सीरिया तीनों ही इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (Organisation of Islamic Countries) के सदस्य हैं। इस नाते सीरिया में होने वाली किसी भी सरकार विरोधी कार्रवाई के ये दोनों खिलाफ हैं। वहीं रूस सीरिया और वहां की सरकार का बड़ा हितैषी है। इस मुद्दे ने ईरान-रूस-तुर्की को करीब आने में एक अहम भूमिका अदा की है। सीरिया में इन देशों के निशाने पर अमेरिका है। यहां पर इन सभी देशों की केमेस्ट्री को समझना भी काफी दिलचस्प है।

रूस और अमेरिका के बीच शीत युद्ध से पहले और इसके बाद में भी जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है। युक्रेन से युद्ध के बाद तो हालात और अधिक खराब ही हुए हैं। वहीं ईरान से अमेरिका के संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने परमाणु डील (US-Iran Nuclear Deal) करके संबंधों को सुधारने की कोशिश की थी, लेकिन इस कोशिश को उनके बाद राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने इस डील को खत्म कर आपसी संबंधों के सुधरने की प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया।

तुर्की की यदि बात करें तो वो अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो का सदस्य है, लेकिन कई बार वो अमेरिका के खिलाफ खड़ा दिखाई दिया है। उसके ऊपर रूस के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (S-400 Missile Diffence System) पर लगी रोक ने अमेरिका के घुर विरोधी देशों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं तुर्की हेलीकाप्टर डील पर अमेरिका की तरफ से पैदा की गई बाधा से भी काफी खफा है। चीन अमेरिका विरोधी देशों की सूची में शीर्ष में शामिल है। चीन और अमेरिका के बीच कई सारे मुद्दे ऐसे हैं जिनपर दोनों कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। इनमें दक्षिण चीन सागर, ताईवान, आपसी व्यापार जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।

अब अमेरिका विरोधी देशों का यही गठबंधन आने वाले समय में अमेरिका के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। इस नए उभरते गठबंधन पर अमेरिका की भी नजर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस बात को बखूबी जानते हैं कि ये नया ग्रुप उनके लिए कितनी बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। हालांकि, एक हकीकत ये भी है कि फिलहाल उनके पास इस गठबंधन का कोई तोड़ नहीं है।