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UNESCO: यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जापान की सादो सोने की खदान, यह 400 सालों तक हुई संचालित

यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने शनिवार को जापान की विवादास्पद सादो सोने की खदान को सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में पंजीकृत करने का फैसला लिया है। उत्तरी जापान में निगाटा के तट पर एक द्वीप पर स्थित यह खदान 400 वर्षों तक संचालित हुई और 1989 में बंद होने से पहले दुनिया की सबसे बड़ी सोना उत्पादक थी।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 28 Jul 2024 05:30 AM (IST)
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यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जापान की सादो सोने की खदान

एपी, टोक्यो। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने शनिवार को जापान की विवादास्पद सादो सोने की खदान को सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में पंजीकृत करने का फैसला लिया है। यह निर्णय टोक्यो और सियोल के बीच संबंधों में सुधार का संकेत है।

उत्तरी जापान में निगाटा के तट पर एक द्वीप पर स्थित यह खदान 400 वर्षों तक संचालित हुई और 1989 में बंद होने से पहले दुनिया की सबसे बड़ी सोना उत्पादक थी।

यह जापान द्वारा युद्ध के दौरान कोरियाई मजदूरों के साथ दु‌र्व्यवहार से भी जुड़ा है।व हीं, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।

अफ्रीकी देश द्वारा मानवाधिकार, मुक्ति संघर्ष और सुलह

नेल्सन मंडेला लिगेसी साइट्स नाम से अपना नामांकन प्रस्तुत किया गया था। साथ ही प्राचीन रोम के पहले राजमार्ग एपियन वे को विरासत सूची में जोड़ा गया है। इसे रेजिना वियारम या सड़कों की रानी के रूप में जाना जाता है।