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Israel Hamas War: यहूदियों की कहानी... 50 से ज्यादा देशों के आक्रामक विरोध के बावजूद जिंदा है इजरायल का जज्बा

Israel Hamas War यहूदी धर्म इस धर्म का इतिहास करीब 3000 साल पुराना माना जाता है । यहूदी धर्म की शुरुआत होती है यरूशलम से। वही यरूशलम जो यहूदी ईसाई और इस्लाम धर्म की पवित्र जगहों में से एक है। इस धर्म की शुरुआत पैगंबर अब्राहम ने की थी। अब्राहम को ईसाई और मुस्लिम भी ईश्वर का दूत कहते हैं |

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Tue, 17 Oct 2023 06:00 AM (IST)
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Israel Hamas War: यहूदियों की कहानी... 50 से ज्यादा देशों के आक्रामक विरोध के बावजूद जिंदा है इजरायल का जज्बा

जागरण रिसर्च टीम, नई दिल्ली। आज का आधुनिक और मजबूत इजरायल ऐसे ही नहीं बन गया है। यहूदियों ने इसके लिए करीब 2500 साल तक जद्दोजहद की है। अपनी जमीन से तितर-बितर हो कर पूरी दुनिया में जाकर बसे । हर तरह की मुसीबतों का सामना किया और खुद को मजबूत बनाते रहे हालात कैसे भी रहे हों यहूदियों ने अपना देश बनाने का सपना दिलो-दिमाग में जिंदा रखा सदियों बाद इतिहास ने करवट ली तो 50 से ज्यादा अरब देशों के विरोध के बावजूद इजरायल अस्तित्व में आया। हालांकि इजरायल के लिए एक देश के रूप में दुनिया के नक्शे पर बने रहने की जंग कभी खत्म नहीं हुई और ये सात दशक बाद भी जारी है।

यहूदी धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक

यहूदी धर्म इस धर्म का इतिहास करीब 3000 साल पुराना माना जाता है । यहूदी धर्म की शुरुआत होती है यरूशलम से। वही यरूशलम जो यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म की पवित्र जगहों में से एक है। इस धर्म की शुरुआत पैगंबर अब्राहम ने की थी। अब्राहम को ईसाई और मुस्लिम भी ईश्वर का दूत कहते हैं | अब्राहम के बेटे का नाम आईजैक और एक पोते का नाम याकूब (जैकब) था। याकूब का दूसरा नाम इजरायल था। याकूब के 12 बेटे और एक बेटी थी। इन 12 बेटों ने 12 यहूदी कबीले बनाए याकूब ने इन यहूदियों को इकट्ठा कर इजरायल नाम का एक राज्य बनाया । याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा था। उनके वंशजों को यहूदी कहा गया। इनकी भाषा हिब्रू थी और धर्मग्रंथ तनख है। ये लोग यरूशलम और यूदा के इलाके मे रहते थे। पहले यहूदी राज्य मे साउल, इशबाल, डेविड और सोलोमन जैसे प्रसिद्ध राजा हुए 931 ईसा पूर्व मे सोलोमन के बाद इस राज्य का धीरे-धीरे पतन होने लगा। संयुक्त इजरायल दो हिस्सों में इजरायल और यूदा के बीच में बंट गया।

असीरियाई साम्राज्य का हमला

700 ईसा पूर्व में असीरियाई साम्राज्य ने यरूशलम पर आक्रमण किया। इस हमले के बाद यहूदियों के 10 कबीले तितर-बितर हो गए। 72 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य के हमले के बाद सारे यहूदी दुनिया भर में जाकर बस गए। इस हमले में किंग डेविड के मंदिर को भी तोड़ दिया गया। इस मंदिर की एक दीवार बची थी जो आज भी यहूदियों के लिए पवित्र तीर्थ मानी जाती है। इसे वेस्टर्न वाल भी कहा जाता है। इस घटना को एक्जोडस कहा जाता है।

पूरी दुनिया में फैल गए यहूदी

एक्जोडस के बाद यहूदी पूरी दुनिया में फैल गए। इसके बाद दुनिया में एक शब्द अस्तित्व में जिसे एंटी सेमिटिज्म कहा जाता है। इसका मतलब है हिब्रू भाषा बोलने वाले लोगों यानी यहूदियों के प्रति दुर्भावना दुनिया में यहूदियों को लेकर एक वहम फैला कि यहूदी दुनिया की सबसे चालाक कौम है और ये किसी को भी धोखा दे सकते हैं। एक्जोडस के बाद अधिकांश यहूदी यूरोप और अमेरिका में बस गए। एंटी सेमिटिज्म के चलते कई देशों में यहूदियों को अपनी पहचान सार्वजनिक रखनी होती थी।

ब्रिटेन और यहूदियों के बीच बालफोर समझौता

1914 में प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ। विश्वयुद्ध बीच 2 नवंबर 1917 को ब्रिटेन और यहूदियों के बीच बालफोर समझौता हुआ। इस समझौते के मुताबिक अगर ब्रिटेन युद्ध में आटोमन साम्राज्य को हरा देगा तो फलस्तीन के इलाके में यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र देश दिया जाएगा। इसके बाद आलिया में तेजी आ गई। आलिया यहूदियों का दूसरे देशों से यरूशलम की तरफ पलायन करने को कहा जाता है।

फलस्तीन के हुए दो हिस्से

संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि फलस्तीन के दो हिस्से किए जाए। एक हिस्सा यहूदियों को दिया जाए। दूसरा हिस्सा मुस्लिमों को दे दिया जाए यरूशलम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर रखा जाए क्योंकि यहां यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के धर्मस्थल हैं । यहूदियों को यह योजना पसंद आ गई । लेकिन मुस्लिम इसके लिए तैयार नहीं हुए। फलस्तीन चारों तरफ से अरब देशों जार्डन, सीरिया, मिस्र घिरा हुआ था। इन देशों ने इस बंटवारे को फलस्तीन के मुस्लिमों के साथ अन्याय बताया । बंटवारे के साथ शुरू हुआ इजरायल - फलस्तीन विवाद आज तक जारी है। इजरायल 1947 में देश बना। 1950 में भारत ने भी इजरायल को मान्यता दे दी। फलस्तीन आज तक कोई देश नहीं बन सका है।

यहूदियों का संहार

ब्रिटेन की सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। वो अलग- अलग वजह गिनाकर बालफोर समझौते को लागू करने से बचते रहे प्रथम विश्वयुद्ध खत्म होने के अगले 20 साल तक यह समझौता लागू नहीं हो सका और द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया। उस समय जर्मनी के मुखिया एडोल्फ हिटलर ने एंटी सेमिटिज्म का सबसे क्रूर रूप दिखाया। जर्मनी और आस-पास के देशों में कैंप लगाकर यहूदियों को मारा गया। विश्वयुद्ध खत्म होने पर जब दुनियाभर में ये बात फैली तो पूरी दुनिया की संवेदना यहूदियों के साथ हो गई।

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