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'मोदी जी और हमारे राष्ट्रपति नहीं डरेंगे', भारत और ताइवान की दोस्ती पर भड़का चीन तो ताइपे ने सुनाई खरी-खरी

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते से बातचीत की थी। लाई चिंग ने पीएम मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी। बता दें कि भारत और ताइवान की बढ़ती दोस्ती पर चीन परेशान है। चीन की मानें तो ताइवान में राष्ट्रपति जैसी कोई चीज (पद) नहीं है। चीन के इस बयान पर ताइवान ने प्रतिक्रिया दी है।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 18 Jun 2024 03:33 PM (IST)
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चीन ने ताइवान-भारत की दोस्ती पर जताई आपत्ति।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)
एएनआई, ताइपे। नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में देश में तीसरी बार एनडीए सरकार बनी। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते से बातचीत की। लाई चिंग ते ने पीएम मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी। हालांकि, ताइवान और भारत के राष्ट्र प्रमुखों के बीच हुई बातचीत चीन को नागवार गुजरी है।

चीन ने ताइवान-भारत की दोस्ती पर जताई आपत्ति

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने पीएम मोदी और लाई चिंग ते के बीच बातचीत पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा,"सबसे पहले ताइवान क्षेत्र में राष्ट्रपति जैसी कोई चीज (पद) नहीं है। वहीं,  चीन ताइवान के अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी तरह का आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है।"

हालांकि, चीन के इन बयानों पर ताइवान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ताइवान के उप विदेश मंत्री टीएन चुंग-क्वांग ने चीन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि .मुझे लगता है कि मोदी जी और हमारे राष्ट्रपति नहीं डरेंगे।

धमकियों से दोस्ती नहीं होती: ताइवान

इसके पहले  ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों नेताओं (लाई चिंग और मोदी) के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत पर चीन का प्रतिरोध बिल्कुल गलत है। धमकियों से दोस्तियां नहीं होती। ताइवान, भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने को लेकर समर्पित है। ये संबंध परस्पर लाभ और साझा मूल्यों पर आधारित हैं। 

तेजी से ताइवान-भारत साझेदारी आगे बढ़े: लाई चिंग-ते

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने पीएम मोदी को बधाई देते हुए एक्स पर पोस्ट में कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव में जीत पर मेरी हार्दिक बधाई। हम तेजी से बढ़ती ताइवान-भारत साझेदारी को और आगे ले जाने एवं व्यापार, प्रौद्योगिकी व अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने को उत्सुक हैं, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए योगदान दिया जा सके।'

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