ग्रीस में समलैंगिक विवाह वैध होने के बाद हुई पहली शादी, लेस्बियन जोड़ा बोले- 'प्यार जीत गया'
ग्रीस में अब पुरुष से पुरुष और स्त्री से स्त्री शादी कर सकते हैं। कट्टर ईसाई मुल्क होने और वहां के चर्च के विरोध के बावजूद वहां की संसद ने इससे जुड़े बिल को पास किया है। इस बीच अब एक लेस्बियन जोड़े ने शादी कर ली है। यह उस देश में पहला मामला है जब दो लड़कों ने शादी की हो।
रॉयटर्स, एथेंस। दक्षिणी यूरोप में बसे ग्रीस में हाली ही में समलैंगिक विवाह को कानूनी वैधता दी है। ग्रीस में अब पुरुष से पुरुष और स्त्री से स्त्री शादी कर सकते हैं। कट्टर ईसाई मुल्क होने और वहां के चर्च के विरोध के बावजूद वहां की संसद ने इससे जुड़े बिल को पास किया है।
इस बीच अब एक लेस्बियन जोड़े ने शादी कर ली है। यह उस देश में पहला मामला है, जब दो लड़कों ने शादी की हो।
समलैंगिक उपन्यासकार और वकील ने की शादी
एक ग्रीक उपन्यासकार और उसके पार्टनर जो पेशे से एक वकील हैं, दोनों ने एथेंस के सिटी हॉल में शादी की। दोनों ग्रीस के पहले समलैंगिक जोड़े बन गए, जिन्होंने शादी की। बता दें कि रूढ़िवादी ईसाई राष्ट्र ग्रीस में तीन सप्ताह पहले ही एक बड़े बदलाव में समलैंगिक विवाह को वैध माना गया है।
मेयर ने भी मनाया शादी का जश्न
ऑगस्टे कॉर्टेउ के नाम से जाने वाले पेट्रोस हडजोपोलोस और वकील अनास्तासियोस सैमौलीडिस की शादी का जश्न एथेंस के मेयर ने भी मनाया। ग्रीक राजधानी के सिटी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में दो दर्जन मेहमान ही शामिल हुए।
हडजोपोलोस ने इस घटना को एक सपना सच होने जैसा बताया, जिसे वो किशोरावस्था में देखने की हिम्मत नहीं करते थे।
मेयर ने शादी समारोह को बताया ऐतिहासिक
एथेंस के मेयर हारिस डौकास ने समारोह को एक 'ऐतिहासिक क्षण' बताते हुए कहा कि एथेंस के प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद के अनुसार जीने और प्यार करने में सक्षम होना चाहिए और यही इसका उदाहरण है।
सामाजिक रूप रूढ़िवादी चर्च के कड़े विरोध के बावजूद ग्रीक संसद ने 15 फरवरी को एक वोट के साथ समलैंगिक विवाह को वैध बनाया है। मंगलवार को कोर्फू द्वीप पर चर्च के अधिकारियों ने इस बदलाव के लिए मतदान करने वाले दो स्थानीय सांसदों पर धार्मिक प्रतिबंध लगा दिया था।
बता दें कि यूरोपीय संघ के अधिकांश हिस्सों में समलैंगिक विवाह अभी भी वैध होने से बहुत दूर है। बुल्गारिया, क्रोएशिया, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड और स्लोवाकिया सहित कई सदस्य देशों में वर्तमान में इसके खिलाफ संवैधानिक प्रावधान हैं।