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Sri Lanka News: श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे सरकार से आखिर क्‍यों चिढ़ी थी जनता? पूर्व राष्‍ट्रपति को देश छोड़कर जाना पड़ा

Sri Lanka News ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर जनता में सरकार के खिलाफ इतनी नाराजगी क्‍यों थी। हालात यह हो गए कि पूर्व राष्‍ट्रपति को देश छोड़कर जाना पड़ा। आइए जानते हैं कि श्रीलंका में राजपक्षे सरकार को जनता क्‍यों चिढ़ी थी।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 20 Jul 2022 08:36 PM (IST)
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Sri Lanka News: श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे सरकार से आखिर क्‍यों चिढ़ी थी जनता। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Sri Lanka News: भारत के पड़ोसी मुल्‍क श्रीलंका में नए राष्‍ट्रपति का निर्वाचन हो गया है। इससे यह उम्‍मीद की जा रही है कि श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता का दौर समाप्‍त हो जाएगा। श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद जनता निर्वाचित सरकार के खिलाफ विद्रोह पर उतर आई थी। देश में गृह युद्ध जैसे हालात थे। जनता के आक्रोश को समाप्‍त करने के लिए श्रीलंका में नए राष्‍ट्रपति का निर्वाचन हो गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर जनता में सरकार के खिलाफ इतनी नाराजगी क्‍यों थी। हालात यह हो गए कि पूर्व राष्‍ट्रपति को देश छोड़कर जाना पड़ा। आइए जानते हैं कि श्रीलंका में राजपक्षे सरकार से जनता क्‍यों चिढ़ी थी। विशेषज्ञ इसका एक बड़ा कारण यह भी मानते हैं।

1- श्रीलंका की सियासत में राजपक्षे परिवार का दबदबा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में श्रीलंका सरकार में राजपक्षे पर‍िवार के पांच सदस्‍य मंत्री थे। मंत्रिमंडल में चार भाई मंत्री हैं। पांचवां मंत्री भी राजपेक्ष परिवार का बेटा है। खुद गोटबाया राजपक्षे देश के राष्‍ट्रपति हैं। उनके पास रक्षा मंत्रालय भी है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री मह‍िंदा राजपक्षे हैं। देश के वित्‍त मंत्री बासिल राजपक्षे हैं। श्रीलंका सरकार के गठन के बाद बासिल को विदेश से बुलाकर वित्‍त मंत्रालय की ज‍िम्‍मेदारी दी गई थी। देश के सिंचाई मंत्री चमाल राजपक्षे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में खेल मंत्रालय का जिम्‍मा महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे के पास है।

2- उन्‍होंने कहा कि मौजूदा राष्‍ट्रपति के समक्ष एक कठिन चुनौती है। प्रो पंत ने कहा कि श्रीलंका की बिगड़ी हुई अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाना होगा। वित्‍तीय प्रबंधन के लिए कठोर फैसले लेने होंगे। नए राष्‍ट्रपति के समक्ष देश को राजनीतिक अस्थिरता से खत्‍म कर उसे आर्थिक संकट से उबारना एक बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए राजनीतिक इच्‍छा शक्ति दिखानी होगी। देश की पर्यटन व्‍यवस्‍था को पटरी पर लाना होगा, जिससे देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था को सुधारा जा सके। इसके अलावा उनको विभिन्‍न राजनीतिक दलों के बीच तालमेल बिठाने की भी चुनौती होगी।

3- उन्‍होंने कहा कि श्रीलंका में सर्वदलीय सरकार ही इस समस्‍या का बेहतर समाधान है। यही संसदीय व्‍यवस्‍था की भी मांग है। उन्‍होंने कहा कि जनता के आक्रोश को कम करने के लिए सत्‍ता में बदलाव जरूरी है। प्रो पंत ने कहा कि और यह काम चुनाव के जरिए ही हो सकता है। यह जरूरी है कि देश में एक लोकप्रिय सरकार का गठन हो और वह सरकार जनता के प्रति पूरी तरह से जवाबदेह हो। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा नेतृत्‍व को बहुत सूझबूझ से फैसले लेने होंगे। अगर लोकतांत्रिक तरीके से इस समस्‍या का समाधान नहीं निकला तो इस देश में सैन्‍य शासन का विकल्‍प खुल जाएगा।

गोटबाया राजपक्षे की पारी खत्‍म

1- 70 वर्षीय नेता गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं। राजपक्षे का जन्म 20 जून, 1949 को श्रीलंका के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार में हुआ था। वह नौ भाई बहनों में पांचवें स्थान पर हैं। उनके पिता डीए राजपक्षे 1960 के दशक में विजयानंद दहानायके की सरकार में प्रमुख नेता थे। वह श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के संस्थापक सदस्य थे। राजपक्षे ने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलंबो में पूरी की। वह 1971 में श्रीलंका की सेना में अधिकारी कैडेट के रूप में शामिल हुए। गोटबाया ने वर्ष 1983 में मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की।

2- महिंदा राजपक्षे ने तमिल अलगाववादी युद्ध को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके चलते वह सिंहली बौद्ध बहुल समुदाय के प्रिय बन गए थे। गोटबाया उनके शीर्ष रक्षा मंत्रालय अधिकारी थे, जिन्होंने लिट्टे के खिलाफ सैन्य अभियान की निगरानी की थी। लिट्टे के निशाने पर रहे राजपक्षे 2006 में इस संगठन के आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे थे। बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें अपना नायक मानते हैं। वहीं, दूसरी ओर तमिल मूल के नागरिक उन्हें अविश्वास की नजर से देखते हैं। बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान उन्होंने वर्ष 2005 से 2014 में रक्षा सचिव की जिम्मेदारी भी निभाई थी। रक्षा सचिव रहते हुए वह साल 2012 और 2013 में भारत के दौरे पर आए थे।