कारों को क्यों है सेफ्टी रेटिंग की जरूरत? क्या इससे बढ़ जाएगी गाड़ियों की कीमत, जानिए सभी सवालों के जवाब
सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य लोगों को सुरक्षित कार की सवारी कराना है। स्टार रेटिंग टेस्ट के लिए मॉडल कार के अंदर मानव डमी को बैठाया जाता है और इसे किसी दीवार या मजबूत ढांचे से टकराई जाती है। इसके आने के बाद संभव रूप से देश में कारों के दाम बढ़ सकते हैं।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सुरक्षा मानकों पर कारों की स्टार रेटिंग की भारत की अपनी व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है। भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) के परीक्षण प्रोटोकॉल को वैश्विक क्रैश-टेस्ट प्रोटोकॉल के साथ जोड़ा गया है। देश की सभी नई कारों को अब 1 से 5 की रेंज में रेटिंग दी जाएगी। पांच स्टार उच्चतम सुरक्षा रेटिंग का संकेत देंगे और इसे 1 अक्टूबर से लागू किया जाना है। आइए जानते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया को किस तरह से अंजाम दिया जाएगा।
भारत में क्यों है स्टार रेटिंग की जरूरत?
विभिन्न देशों का अपना कार मूल्यांकन कार्यक्रम (एनसीएपी) है। भारत में इसे भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (बीएनसीएपी) कहा जाएगा। भारत ने 2014-2015 में कार मूल्यांकन कार्यक्रम लाने की आवश्यकता पर चर्चा शुरू की गई थी और अब इसे शुरु किए जाने की तैयारी हो रही है। NCAP के लिए वैश्विक विचार कारों को आगे की सीटों पर वयस्कों और पीछे की सीटों पर बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना है। एनसीएपी यह आकलन करता है कि दुर्घटना की स्थिति में कार कितनी सुरक्षित है।
क्रैश टेस्ट के लिए, उपयोग किए जाने वाले वाहन मॉडल पर एक प्रोटोकॉल होता है। इनका परीक्षण कर स्टार रेटिंग दी जाती है। मलेशिया जैसे कुछ देशों में स्टार रेटिंग देने के लिए संस्थाएं स्थापित की गई हैं। भारत में, हमारे पास BNCAP नामक एक प्राधिकरण होगा।
कारों को क्रैश टेस्ट के बाद रेटिंग दी जाएगी और सड़क परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव या अतिरिक्त सचिव के अधीन एक उच्च स्तरीय समिति इसके लिए प्रमाण पत्र देगी और इससे स्टार रेटिंग प्रणाली को विश्वसनीयता मिलेगी। इस प्रक्रिया में न्यूनतम सुरक्षा वाली कारों में एक स्टार होगा और अधिकतम सुरक्षा वाली कारों को 5 स्टार दिए जाएंगे। पिछले कई सालों से लोग कार का माइलेज और लुक देखकर ही उसे खरीदते हैं लेकिन अब इसकी सुरक्षा पर भी फोकस किया जा सकेगा।
क्यों महत्वपूर्ण है कारों का मूल्यांकन?
सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य लोगों को सुरक्षित कार की सवारी कराना है। स्टार रेटिंग टेस्ट के लिए मॉडल कार के अंदर मानव डमी को बैठाया जाता है और इसे किसी दीवार या मजबूत ढांचे से टकराई जाती है। साथ ही जांचने के लिए रियर टेस्ट किया जाता है कि वाहन स्थिर है या नहीं और उसमें बैठे लोगों की सुरक्षा कर सकता है या फिर नहीं। ऐसे में कार को दोनो तरफ से दुर्घटनाग्रस्त किया जाता है। दुर्घटनाएं ये जांचती हैं कि उनका रहने वालों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद मॉडल को स्टार रेटिंग दी जाती है।
देश में अभी क्या हैं जांच के पैरामीटर?
हमारे देश में हर कार को फ्रंटल क्रैश टेस्ट से गुजरना पड़ता है। किसी कार के सड़क पर चलने के लिए यह न्यूनतम आवश्यकता है। आगे की सीट पर बैठे यात्रियों के लिए एयरबैग अनिवार्य है। सरकार सभी कारों में 6 एयरबैग को अनिवार्य बनाने पर काम कर रही है। इनसे पीछे की सीटों पर बैठे लोगों को पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी। फिलहाल, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी सिस्टम एक प्रीमियम सुरक्षा सुविधा है।
दो से तीन साल में यह सभी कारों के लिए अनिवार्य हो सकता है और स्पीड अलर्ट सिस्टम पहले से ही अनिवार्य है। जब आप 80 किमी से अधिक ड्राइव करते हैं तो कार अलार्म बजाती है। यदि आप 100 किमी से आगे जाते हैं तो इसकी आवाज और तेज हो जाती है।
क्या स्टार रेटिंग नई कारों को और महंगी बना देगी?
इसके आने के बाद संभव रूप से देश में कारों के दाम बढ़ सकते हैं। इस अग्निपरीक्षा से निकलने के लिए कार निर्माता कंपनियां अपने मॉडलों के लिए लागत बढ़ा सकती हैं, लेकिन ये ज्यादा नहीं होगी। कारों को टेस्टिंग के लिए विदेश नहीं भेजना पड़ेगा और इसका असर लागत पर पड़ेगा। वहीं, हाई स्टार रेटिंग के लिए, निर्माताओं को अधिक एयरबैग और इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी सिस्टम जैसे जरूरी सेफ्टी फीचर्स देने होंगे।