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Cancer Survivor Day: उप्र के राज्यपाल राम नाईक ने पायी कैंसर पर विजय

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक उन तमाम लोगों के बीच एक उम्मीद जगा रहे हैं जो कैंसर से लड़ रहे हैं। उन्होंने खुद इस कभी लाइलाज माने जाने वाली इस बीमारी पर विजय प्राप्त की है।

By Ravi RanjanEdited By: Updated: Sun, 04 Jun 2017 10:33 PM (IST)
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Cancer Survivor Day: उप्र के राज्यपाल राम नाईक ने पायी कैंसर पर विजय

पटना [जेएनएन]। नेशनल कैंसर सरवाइवर्स डे (चार जून) केवल एक दिवस नहीं है। यह उन तमाम लोगों को जो कैंसर से लड़ रहे हैं, उनमें नई उम्मीद पैदा करने का दिवस है। इस अवसर पर कुछ ऐसे लोगों से बात की गई जिन्होंने कभी लाइलाज मानी जाने वाली इस बीमारी पर विजय प्राप्त की है।

मकसद यह कि ऐसे लोग जो इस बीमारी से लड़ रहे हैं उनमें नई चेतना का संचार हो सके। उप्र के राज्यपाल राम नाईक इसका सबसे सटीक उदाहरण हैं। 'दैनिक जागरण' से उन्होंने कैंसर की अपनी लड़ाई के अनुभवों को साझा किया। 

नाईक ने बताया कि 1993 में उन्हें कैंसर का पता लगा था। उस समय वह 60 वर्ष के थे। आज कैंसर का इलाज हुए 24-25 साल हो चुके हैं और वह पूरी तरह से स्वस्थ व ऊर्जा से लबरेज हैं। किसी सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा अधिक काम करते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। अब तो कीमो के बाद बाल तक नहीं झड़ते हैं।

पहले तो लोगों को दूर से बाल देखकर पता चल जाता था कि वह कैंसर का मरीज है। इसलिए हताश होने की आवश्यकता नहीं है। हां, यह जरूर है कि जैसे ही किसी को यह पता चलता है कि उसे कैंसर है, अवसाद में आ जाता है। वहीं परिवारीजन भी मानने लगते हैं कि अब जीवन का कोई भरोसा नहीं। यह सोच गलत है। 

दरअसल, मेरे जैसे कैंसर सरवाइवर इस बात का उदाहरण हैं कि कैंसर को विश्वास से जीता जा सकता है। मुझे जब यह बताया गया कि टाटा इंस्टीट्यूट में संपर्क कर लूं तो पूरे विश्वास से वहां गया। इसका एक कारण यह था कि मेरी बेटी कैंसर पर शोध कर रही थी। इसलिए, मुझे व परिवार को काफी कुछ जानकारी थी। साथ ही मेरे कुछ मित्र थे जो कैंसर के साथ भी कई साल कार्य करते रहे थे।

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आरएसएस के चीफ एमएस गोलवलकर भी कैंसर से पीडि़त रहे थे लेकिन, मैंने उन्हें बीमारी के साथ भी सात साल तक काम करते देखा।  इसलिए, विश्वास था कि जल्दी तो कुछ नहीं होना है। नाईक यह जरूर मानते हैं कि मरीज के साथ परिवारीजन की मजबूत इच्छाशक्ति इलाज में काफी मददगार रहती है और मरीज इस रोग पर जीत हासिल कर सकता है। वह कहते हैं कि इसलिए यह दिवस काफी महत्वपूर्ण है जिससे लोग प्रेरणा ले सकते हैं।

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