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Lok Sabha Election 2024 से पहले JDU में बड़ा बदलाव, समझें क्या हैं Nitish Kumar को फिर कप्तान बनाने के सियासी मायने

बिहार की सियासत में हुए बड़े बदलाव ने राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। जदयू से ललन सिंह के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार के पार्टी की कमान संभालने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसके क्या सियासी मायने हैं? जदयू ने कहा है कि बैठक में लिए गए फैसलों की आधिकारिक जानकारी मीडिया को दी जाएगी।

By Yogesh Sahu Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 29 Dec 2023 02:56 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024 से पहले JDU में बड़ा बदलाव, समझें क्या हैं Nitish को कप्तान बनाने के सियासी मायने

डिजिटल डेस्क, पटना। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा है। बताया जा रहा है कि नीतीश ने भी इसके लिए अपनी सहमति दे दी है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा होना शेष है।

दूसरी बार अध्यक्ष पद से हटे ललन

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की विदाई हो गई है। अध्यक्ष पद से यह उनकी दूसरी विदाई है। इससे पहले 2010 में वह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा होकर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने लगे थे।

पार्टी पर फिर पूरा नियंत्रण

जानकारों का मानना है कि ललन सिंह के जाने से जदयू में बड़ा सियासी बदलाव आएगा। वहीं, नीतीश कुमार के अध्यक्ष बनने से उनका पूरी तरह से पार्टी पर नियंत्रण हो जाएगा। यह नियंत्रण अब प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देगा।

सभी बड़े फैसले कर पाएंगे

नीतीश कुमार जदयू की कमान संभालते हैं तो अब वह पार्टी से जुड़े सभी तरह के निर्णय ले पाएंगे। इससे पहले पार्टी से जुड़े निर्णयों में उनकी भूमिका जरूर थी, परंतु वह परोक्ष रूप से इसे निभा रहे थे।

चुनाव में सबसे अहम भूमिका

जदयू की कमान संभालने पर नीतीश कुमार का कद और बढ़ जाएगा। एक तो वह बिहार के मुख्यमंत्री हैं। दूसरा वह अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे। ऐसे में प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक उनका कद बढ़ जाएगा।

आईएनडीआईए में ज्यादा वजन

जानकार मानते हैं कि जदयू की कमान नीतीश को मिलने से आईएनडीआईए में उनका वजन बढ़ जाएगा। वह पहले से कहीं अधिक प्रभावी होंगे। लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह और भी अहम हो जाता है। अटकलें ऐसी भी हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ जा सकते हैं। हालांकि, सियासी जानकार इनमें दम होने की बात से इनकार करते हैं।

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