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गलत दवा ने छीन ली थी आखों की रोशनी, नहीं हारी हिम्मत; आज जामिया मिलिया इस्लामिया में बच्चों को पढ़ा रहे कानून

Bihar News बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा प्रखंड निवासी दृष्टि दिव्यांग मासूम रजा को बचपन में चिकित्सक ने गलत दवा दे दी थी जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। दृष्ट दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आज दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में लॉ के प्रोफेसर पर छात्रों के बीच ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं।

By Vinod RaoEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sat, 11 Nov 2023 01:51 PM (IST)
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गलत दवा ने छीन ली थी आखों की रोशनी, आज जामिया मिलिया इस्लामिया में बच्चों को पढ़ा रहे कानून

मो. अब्बु साबीर, बगहा (पश्चिम चंपारण)। प्रतिभा जब हौसले का साथ मिल जाए तो परेशानियां भी बौनी हो जाती हैं। बगहा एक प्रखंड के कोल्हुआ निवासी दृष्टि दिव्यांग मासूम रजा (25) की आंखों में दस वर्ष की उम्र तक क्रिकेटर बनने के सपने पलते रहे।

क्रिकेट ग्राउंड में चौके-छक्के लगा देश दुनिया में नाम कमाना चाहते थे, लेकिन यह सपना साकार न हो सका। बीमार पड़ने पर चिकित्सक द्वारा गलत दवा देने से उनकी आखों की रोशनी चली गई। तब वे कक्षा तीन में पढ़ाई कर रहे थे।

जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर

दृष्ट दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हौसले की रोशनी से जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाया। आज दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में लॉ के प्रोफेसर पर छात्रों के बीच ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड ने 26 अगस्त को मानद उपाधि दे कर उन्हें सम्मानित किया।

परिश्रम से पाई मंजिल

वर्ष 2008 में मासूम की तबीयत बिगड़ गई। डाक्टर ने जो दवा दी उसे खाने के कुछ देर बात आंखों के आगे अंधेरा छा गया। अभिभावक ने सोचा दवा का असर खत्म होते ही सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके थे।

पीजीआइ लखनऊ व एम्स दिल्ली तक इलाज कराया, लेकिन निराशा हाथ लगी। जीवन में अंधेरा छाने के बाद भी मासूम हताश नहीं हुए। शिक्षा जारी रखने का निर्णय लिया। वर्ष 2009 में ब्रेल लिपि की पढ़ाई के लिए दिल्ली गए।

87 प्रतिशत अंक के साथ 12वीं की परीक्षा पास की। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से वर्ष 2017- 22 में बीए एलएलबी व डिप्लोमा किया। 2022-23 में नेशनल लॉ स्कूल आफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु से एलएलएम किया। जेआरएफ करने के बाद यूजीसी से मार्च 2023 में हावर्ड लॉ स्कूल से कापी राइट एक्ट का कोर्स किया।

मासूम आज लॉ कॉलेज का प्रोफेसर बन लोगों को कानून की बारीकियां समझा रहे हैं। मासूम कहते हैं, दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। मन में सच्ची लगन हो तो परिश्रम से इसे अवसर में बदला जा सकता है।

ऐसे लोग विरले ही होते हैं। दृष्टि दिव्यांग होने के बावजूद खुद लॉ की पढ़ाई कर अब दूसरों को लॉ पढ़ा रहे हैं। इनकी जीवनी से प्रेरणा लेने की दरकार हैं। मन में सच्ची लगन हो और इंसान परिश्रम करें तो कोई भी कमियां आड़े नहीं आती हैं। मासूम रजा ने इसे साबित कर दिखाया है। - चंद्रावती देवी, प्रखंड प्रमुख, बगहा एक।

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