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नई ऊंचाइयों पर भारतीय शेयर बाजार, फेड रेट में कटौती और मजबूत होती अर्थव्यवस्था से लगे पंख

फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद बाजार विदेशी संस्थागत निवेशक से अतिरिक्त नकद प्रवाह की उम्मीद कर रहा है। इस उम्मीद में हाल के दिनों में लार्ज कैप्स की ओर प्रवाह बढ़ गया है और यह प्रवृत्ति और मजबूत हो सकती है। निकट भविष्य में लार्ज कैप्स का अन्य वर्गों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 20 Sep 2024 08:35 PM (IST)
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अमेरिका के साथ लगभग सभी एशियाई बाजार में तेजी रही।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल बैंक की तरफ से ब्याज दर में कटौती की घोषणा और अर्थव्यवस्था की मजबूत विकास दर में स्थिरता को देखते हुए घरेलू व विदेशी दोनों ही निवेशकों को भारतीय बाजार सुरक्षित और फायदेमंद दिखने लगा है। इन वजहों से ही शुक्रवार को सेंसेक्स नई ऊंचाई के साथ 84,544.31 अंक पर पहुंच गया जो पिछले कार्यदिवस से 1359 अंक अधिक है। पहली बार सेंसेक्स 84,000 अंक से ऊपर के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी 375.15 अंक की बढ़त के साथ 25,790 के स्तर पर पहुंच गया।

शुक्रवार को बैंकिंग से लेकर एफएमसीजी, ऑटो, फार्मा, कैपिटल गुड्स जैसे लगभग सभी सेक्टर में तेजी रही और बीएसई पर 250 स्टाक अपने एक साल के रिकार्ड स्तर पर देखे गए। जबरदस्त बढ़ोतरी से बीएसई का मार्केट कैप (बाजार पूंजीकरण) 472 लाख करोड़ हो गया और निवेशकों को एक दिन में छह लाख करोड़ की कमाई हुई।

ट्रू नॉर्थ फाइनेंशियल सर्विसेज के संस्थापक एवं सीईओ रोचक बक्शी ने बताया कि फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद बाजार विदेशी संस्थागत निवेशक से अतिरिक्त नकद प्रवाह की उम्मीद कर रहा है। इस उम्मीद में हाल के दिनों में लार्ज कैप्स की ओर प्रवाह बढ़ गया है और यह प्रवृत्ति और मजबूत हो सकती है। निकट भविष्य में लार्ज कैप्स का अन्य वर्गों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

हालांकि फेडरल रेट में कटौती की घोषणा के बाद अमेरिका के साथ लगभग सभी एशियाई बाजार में तेजी रही। अमेरिका में सितंबर की बेरोजगारी दर पिछले चार माह के निचले स्तर पर पहुंच गई है, इससे भी वैश्विक बाजार को प्रोत्साहन मिला है। अमेरिका में ब्याज दर कम होने पर विदेशी निवेशकों के लिए डालर में निवेश ज्यादा फायदेमंद नहीं दिख रहा है और वैश्विक एजेंसियों की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक जैसी सात प्रतिशत की विकास दर के अनुमान से भी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।

पीएचडी चैंबर्स के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा का मानना है कि अभी यूरोप से लेकर मध्य पूर्व जैसे इलाके अशांत है और भू-राजनीतिक उथल-पुथल से कई देश प्रभावित हैं। भारत पर इस उथल-पुथल का कोई असर नहीं है जिससे भारत की विकास दर पिछले दो सालों से सात प्रतिशत से अधिक है और आगे भी दो-तीन सालों से तक इसी दर से विकास का अनुमान है। इसलिए भी निवेशक भारतीय बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

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