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क्या अभी कम नहीं होगी आपकी EMI? जानिए RBI गवर्नर ने क्या दिया संकेत

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में उतार-चढ़ाव के आधार पर भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में 3.65 प्रतिशत रही। इससे यह लगातार दूसरा महीना रहा जब मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से कम रही। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत के घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे। इससे आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती से जुड़े फैसले लेने में आसानी होती है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 13 Sep 2024 07:16 PM (IST)
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति कम होने पर खुशी जताई है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में महंगाई से मुद्रास्फीति में राहत के बाद ब्याज दरों में कटौती का रास्ता तकरीबन साफ हो गया है। बस देखने वाली बात यह होगी कि फेडरल रिजर्व नीतिगत ब्याज दरों में कितनी कटौती करता है। भारत में मुद्रास्फीति काबू में दिख रही है, लेकिन अभी तक साफ नहीं है कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कोई कटौती करके कर्ज लेना सस्ता करेगा या नहीं।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति कम होने पर खुशी जताई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी महंगाई करने पर फोकस करने की जरूरत है। ब्रेटन वुड्स कमेटी द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024 में मुख्य भाषण में दास ने कहा, "मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर थी, जो वहां से घटकर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास आ गई है। लेकिन, हमें अभी भी काफी दूरी तय करनी है और हम दूसरी तरफ देखने का जोखिम नहीं उठा सकते।"

आरबीआई के अनुमानों से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत हो जाएगी। गवर्नर ने आगे कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधि और व्यापार ने बड़े पैमाने पर नकारात्मक जोखिमों को झेला है, लेकिन मुद्रास्फीति का अंतिम पड़ाव चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है, जिससे वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिम बढ़ रहे हैं।

दास ने कहा, "वैश्विक मुद्रास्फीति की गति धीमी हो रही है। इससे मौद्रिक नीति को आसान बनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति प्रबंधन विवेकपूर्ण होना चाहिए। सरकार को भी सप्लाई के मोर्चे पर सजग रहना होगा। दास ने कहा कि दरों में कटौती की बाजार उम्मीदें अब गति पकड़ रही हैं। खासकर यूएस फेड से नीतिगत बदलाव के संकेतों के बाद।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कई ऐसे केंद्रीय बैंक भी हैं जो स्वाभाविक और उचित तरीके से अपने देशों में मुद्रास्फीति पर पूरी तरह से लगाम लगने से पहले नीति में समय से पहले ढील देने के खिलाफ हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इन देशों के केंद्रीय बैंकों को अपने घरेलू मुद्रास्फीति-विकास संतुलन पर नजर रखने और नीतिगत विकल्प बनाने की जरूरत है।

आरबीआई गवर्नर के रुख से लगता है कि अभी केंद्रीय बैंक का जोर महंगाई को कम करने पर ही है। ऐसे में हो सकता है कि आरबीआई फिलहाल नीतिगत ब्याज दरों में कटौती से परहेज करे।

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