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Good News for Indian Economy: सबसे तेज रह सकती है भारत की विकास दर; चीन भी होगा पीछे, क्‍या कहते हैं ताजा अनुमान

growth rate of india ताजा अनुमानों में भारत की विकास दर दुनिया के दूसरे विकसित और विकासशील देशों के मुकाबले सबसे अधिक रहने की उम्मीद जताई गई है। यही नहीं ऐसा पहली बार होगा जब विकास दर के मामले में भारत चीन को भी पीछे छोड़ देगा....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 05 Jul 2022 08:23 AM (IST)
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Indian Growth Rate: भारत की विकास दर चीन को भी पीछे छोड़ देगी....

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाल के हफ्तों में अधिकांश घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास दर अनुमान को घटाया है। लेकिन इस तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि विकास दर के अनुमान में कमी के बावजूद वर्ष 2022 में भारत की विकास दर दुनिया के दूसरे विकसित और विकासशील देशों के मुकाबले सबसे अधिक रह सकती है। यही नहीं, पहली बार भारत की आर्थिक विकास दर चीन के मुकाबले काफी ज्यादा रहने की संभावना है।

विश्व बैंक की जून में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन की विकास दर इस साल 4.3 प्रतिशत रहेगी, जबकि भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत रहेगी। इसी प्रकार आइएमएफ की रिपोर्ट भी चीन के मुकाबले भारत के विकास दर की रफ्तार तेजी से बढ़ने की बात कहती है।

पिछले दिनों आरबीआइ की तरफ से जारी मासिक रिपोर्ट में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया के दूसरे देशों की तरह ही भारतीय इकोनमी पर भी विपरीत असर पड़ने की बात कही गई है। लेकिन यह भी माना गया है कि भारत दूसरे देशों के मुकाबले अभी ज्यादा तेजी से विकास करेगा। भारत की रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ तुलना की गई है।

इसमें आर्गेनाइजेशन फार इकोनमिक को-आपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) और विश्व बैंक की रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया गया है। ओईसीडी ने भारत की विकास दर के अनुमान को 8.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है, जबकि विश्व बैंक ने 8.7 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत किया है।

वहीं, इन एजेंसियों ने चीन के लिए अनुमान को घटाकर क्रमश: 5.1 से 4.4 प्रतिशत और 5.1 से 4.3 प्रतिशत कर दिया है। इसी तरह आइएमएफ की नई रिपोर्ट कहती है कि भारत की विकास दर 9 प्रतिशत से घटकर 8.2 रहेगी, जबकि चीन की विकास दर के अनुमान को 5.1 से घटाकर 4.4 प्रतिशत किया गया है।

2021 की बात करें तो चीन की विकास दर 8.2 प्रतिशत रही थी तो भारतीय इकोनमी में 8.7 प्रतिशत वृद्धि दर रही थी। उसके पिछले वर्ष में भारतीय इकोनमी में 6.6 प्रतिशत की गिरावट हुई थी, वहीं कोरोना के बावजूद चीन ने 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की थी। बहरहाल, यूक्रेन-रूस युद्ध के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करते हुए आरबीआइ यह भी कहा है कि भारत की घरेलू इकोनमी के आधारभूत तत्व काफी मजबूत हैं और ये खराब होते अंतरराष्ट्रीय माहौल के बावजूद बेहतर प्रदर्शन की क्षमता रखते हैं।