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MSME का भुगतान लटकाने वाली कंपनियों की खुलेगी पोल, मंत्रालय ने कर ली तैयारी

इस पर ब्याज का प्रविधान भी रहेगा। अभी तक कंपनियों से जानकारी मांगी जाती थी कि उन्हें किसी सूक्ष्म व लघु कंपनी का कोई भुगतान देना है या नहीं देना है। इसमें उस कंपनी का नाम पूछा जाता था और यह भी कि कितना भुगतान करना है उसका स्थायी खाता संख्या (पैन) और कब से भुगतान बकाया है। इसमें कंपनियां 31 मार्च तक के बकाये की जानकारी दे रही थीं।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Sun, 01 Sep 2024 08:45 PM (IST)
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इसमें यह भी पूछा जाएगा कि वर्ष भर में जो भी माल लिया, उसका कितने दिन बाद भुगतान किया।

जागरण संवाददाता, कानपुर। एमएसएमई की सूक्ष्म और लघु कंपनियों का भुगतान लटकाने वाली कंपनियों की मंत्रालय ने पोल खोलने की तैयारी कर ली है। इस वर्ष एमएसएमई का नया नियम लागू होने के बाद कंपनियों ने यह तैयारी की थी कि वर्ष भर खरीदारी करने के बाद 31 मार्च तक भुगतान कर देंगे, जिससे आयकर रिटर्न में इसकी जानकारी दे सकें कि 31 मार्च को उन्होंने सूक्ष्म व लघु कंपनियों का भुगतान कर दिया है। वर्ष भर भुगतान अटकाने की योजना बनाने वाली कंपनियों की पोल खोलने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई) ने सूक्ष्म और लघु कंपनियों को और सुरक्षा देने के लिए एक और फार्म एमएसएमई-1 लागू किया है।

इसमें यह भी पूछा जाएगा कि वर्ष भर में जो भी माल लिया, उसका कितने दिन बाद भुगतान किया। इस पर ब्याज का प्रविधान भी रहेगा। अभी तक कंपनियों से जानकारी मांगी जाती थी कि उन्हें किसी सूक्ष्म व लघु कंपनी का कोई भुगतान देना है या नहीं देना है। इसमें उस कंपनी का नाम पूछा जाता था और यह भी कि कितना भुगतान करना है, उसका स्थायी खाता संख्या (पैन) और कब से भुगतान बकाया है। इसमें कंपनियां 31 मार्च तक के बकाये की जानकारी दे रही थीं। अब इसका प्रारूप बदल दिया गया है। अब पूछा जा रहा है कि माल लेने के बाद तय समय में कितना भुगतान किया।

यह तय समय लिखित अनुबंध होने पर अधिकतम 45 दिन होता है और अनुबंध न होने 15 दिन का होता है। इसके साथ ही यह भी देना होगा कि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करते वक्त कितना बकाया है। टैक्स ऑडिट की रिपोर्ट फाइल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर है। हालांकि कारोबार जगत पर भी इसका असर इस वर्ष फरवरी से ही दिख रहा है और तमाम कारोबारी सूक्ष्म व लघु कंपनियों के साथ कारोबार करने से बचने लगे हैं। कंपनी सचिव संस्थान कानपुर चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष गोपेश साहू के मुताबिक नई सूचना से मंत्रालय को पता होगा कि जो माल खरीदा गया, उसका 15 दिन या 45 दिन में कितना भुगतान हुआ। उस राशि पर ब्याज का प्रविधान होने से सूक्ष्म व लघु कंपनियों को मिलने वाले भुगतान का स्तर सुधरेगा।