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भारत की अर्थव्यवस्था तेज उड़ान के लिए तैयार, लेकिन कर्ज कब सस्ता करेगा RBI?

इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य शशंका भिड़े का कहना है कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है जो वृद्धि के साथ-साथ खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 30 Jun 2024 08:30 PM (IST)
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वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान।

पीटीआई, नई दिल्ली। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य शशांक भिड़े का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था संभावित रूप से स्थिर उच्च वृद्धि लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज देश जिन महत्वपूर्ण जोखिमों का सामना कर रहा है उनको लेकर भी देश की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है। भिड़े ने कहा कि आमदनी में वृद्धि से घरेलू मांग को समर्थन मिलेगा और पिछले कुछ वर्षों में निवेश व्यय के उच्चस्तर से उत्पादन या आपूर्ति क्षमता में वृद्धि हो रही है, जिससे घरेलू आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है।

जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान

भिड़े ने कहा, 'वृद्धि की गति और मुद्रास्फीति के रुख से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था संभावित रूप से स्थिर उच्च वृद्धि के चरण के लिए तैयार है। हमारी अर्थव्यवस्था सामने मौजूद महत्वपूर्ण जोखिमों के संदर्भ में भी मजबूत स्थिति में है।' बीते वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का आधिकारिक अनुमान 8.2 प्रतिशत है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के सात प्रतिशत से कहीं अधिक है।

इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। भिड़े ने कहा कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है, जो वृद्धि के साथ-साथ खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं की बाहरी मांग बढ़ाने के लिए वैश्विक मांग परिस्थितियों में सुधार जरूरी है।

महंगाई पर है पैनी नजर

मुद्रास्फीति पर एक सवाल के जवाब में भिड़े ने कहा कि चिंता मुख्य रूप से किसी भी प्रतिकूल मौसम और जलवायु घटना के प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के कारण वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधान और हाल की ऊंची मुद्रास्फीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमी गति के सुधार को लेकर है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में खाद्य महंगाई ऊंचे स्तर पर है। आगे चलकर कुल मुद्रास्फीति के लिए खाद्य महंगाई में कमी आना महत्वपूर्ण है।

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