Karun Nair Birthday: मौत का डर क्रिकेट के करीब लाया, भारत के लिए तिहरा शतक जड़कर क्रिकेट जगत में मचाया कोहराम; फिर लगा बदनसीबी का ठप्पा
दाएं हाथ के बल्लेबाज करुण नायर (Karun Nair) का जन्म 6 दिसंबर 1991 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। अपने बचपन में ही वह अपने परिवार के साथ बेंगलोर चले गए। करुण नायर का जब जन्म हुआ तभी उन्होंने पहली बार मौत को शिकस्त दी थी। करुण प्री-म्योचोर बेबी थे जिनका जन्म 8 महीने की प्रेग्नेंसी में ही हो गया था।
By Priyanka JoshiEdited By: Priyanka JoshiUpdated: Wed, 06 Dec 2023 10:15 AM (IST)
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Karun Nair Birthday: जिंदगी और मौत के बीच हर कोई फासला चाहता है, लेकिन मौत कब आनी है, इसके बारे में कोई कुछ कह नहीं सकता। ये जीवन का सत्य ही है कि जन्म लेने के साथ ही हर इंसान की मौत का समय भी तय हो जाता है, लेकिन ऐसे कई करिश्मे देखने को मिले है, जब मौत करीब होने के बावजूद इंसान बच जाता है।
ऐसे बहुत सारे क्रिकेटर्स को भी देखा गया है, जिन्होंने मौत को मात देकर भी क्रिकेट में अपना नाम कमाया है। इस लिस्ट में भारत के क्रिकेटर करुण नायर का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में मौत का एक नहीं, बल्कि दो बार सामना किया।
हैरानी वाली बात ये रही कि मौत के डर की वजह से ही वह क्रिकेट के करीब आए और वह जितनी तेजी से फलक पर छाए, उतनी ही तेजी से वह सीन से गायब हो गए। आज करुण नायर अपना 32वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं उनकी लाइफ स्टोरी।
Karun Nair Birthday: दो बार मौत को चकमा दे चुके हैं करुण नायर
दरअसल, दाएं हाथ के बल्लेबाज करुण नायर (Karun Nair) का जन्म 6 दिसंबर 1991 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था, लेकिन बाद में वह अपने परिवार के साथ बेंगलोर चले गए। करुण नायर का जब जन्म हुआ तभी उन्होंने पहली बार मौत को शिकस्त दी। करुण प्री-म्योचोर बेबी थे, जिनका जन्म 8 महीने की प्रेग्नेंसी में ही हो गया था।
इस तरह से बचपन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनके फेफड़ों की क्षमता कम होने की वजह से डॉक्टर ने उन्हें शारीरिक मेहनत करने की सलाह दी थी। इस वजह से उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने को कहा और महज 10 साल की उम्र से ही नायर ने बल्ला पकड़कर खेलना शुरू कर दिया था।
इसके अलावा दूसरी बार साल 2016 में करुण नायर ने मौत को मात दी थी। उस वक्त वह एक नाव दुर्घटना में बाल-बाल बच गए थे। वह तैरना नहीं जानते थे, लेकिन नाव डूब गई और फिर लोगों ने उन्हें बचा लिया। इस हादसे के बाद नायर ने खुद को भाग्यशाली भी बताया था।
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