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New Delhi News: मानसिक रोग से पीड़ित युवक के पेट से निकाले 39 सिक्के व 37 चुंबक, डेढ़ घंटे चली सर्जरी में दो जगह से काटी आंत

जिम जाने वाले कई युवा बॉडी बिल्डिंग के लिए तरह-तरह के फूड सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं लेकिन गंभीर मनोरोग से पीड़ित दिल्ली के रहने वाले एक 26 वर्षीय युवक ने बॉडी बनाने लिए सिक्के और चुंबक लिए। उसने सोचा था कि सिक्के में मौजूद जिंक से बॉडी बनेगा लेकिन सिक्के और चुंबक से पेट में आंत का रास्ता अवरूद्ध होने से उसकी जिंदगी खतरे में पड़ गई।

By Jagran News Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Tue, 27 Feb 2024 04:08 AM (IST)
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सिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी से पीड़ित युवक के पेट से निकाले 39 सिक्के व 37 चुंबक (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। जिम जाने वाले कई युवा बॉडी बिल्डिंग के लिए तरह-तरह के फूड सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन गंभीर मनोरोग से पीड़ित दिल्ली के रहने वाले एक 26 वर्षीय युवक ने बॉडी बनाने लिए सिक्के और चुंबक लिए।

उसने सोचा था कि सिक्के में मौजूद जिंक से बॉडी बनेगा लेकिन सिक्के और चुंबक से पेट में आंत का रास्ता अवरूद्ध होने से उसकी जिंदगी खतरे में पड़ गई। तक परिवार के लोग उसे लेकर गंगाराम अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। जहां डाक्टरों ने 17 फरवरी को उसकी सर्जरी कर उसके पेट 39 सिक्के और 37 चुंबक निकालें। सर्जरी के बाद अब वह ठीक है।

डॉक्टर ने ये कहा

गंगाराम अस्पताल के लैप्रोस्कोपिक, लेजर व जनरल सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. तरुण मित्तल ने बताया कि युवक को करीब 20 दिनों से पेट में दर्द और उल्टी की समस्या होती थी। पेट दर्द अधिक होने पर परिवार के लोग के लोग युवक को लेकर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। अस्पताल पहुंचने से पहले परिवार के लोगों ने युवक की एक्स-रे जांच भी कराई थी। एक्स-रे सिक्के और चुंबक के आकार चीजें पेट में दिखाई दे रही थीं।

परिवार के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि युवक को सिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी है। जिसका उसे इलाज भी चल रहा है। मानसिक बीमारी के कारण वह पहले आत्महत्या का प्रयास भी कर चुका था। पिछले कुछ समय से उसे सिक्के और चुंबक निगलने की आदत लग गई थी। गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों ने युवक की सीटी स्कैन जांच की। जिसमें पाया गया कि सिक्के और चुंबक उसके पेट में दो जगहों पर मौजूद थे। सिक्के और चुंबक आपस में चिपके हुए थे।

आंत को दो जगहों से काटा गया

चुंबक के प्रभाव से आंत भी आपस में चिपक गई थी। इस वजह से वजह से आंत के दो जगह के हिस्से को काट हटाया गया तब जाकर सिक्के और चुंबक निकाले जा सके। इसके बाद आंत को आपस में जोड़ दिया गया। इस सर्जरी में करीब डेढ़ घंटा समय लगा। सर्जरी के बाद एक सप्ताह युवक अस्पताल में भर्ती रहा। इसके बाद 24 फरवरी को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉ. मित्तल ने बताया कि युवक को जिम में पता चला था कि जिंक से बॉडी बनती है।

इसके बाद वह जिंक के स्रोत का तलाश करने लगा। इसी क्रम में उसने कहीं पढ़ा कि सिक्कों में जिंक होता है। उसे लगा कि सिक्के के साथ चुंबक निगलने से सिक्के चुंबक से चिपककर पेट में अधिक समय तक रहेगा। इससे बॉडी जिंक अधिक ग्रहण अवशोषित करेगी।

क्या है सिजोफ्रेनिया

इंदिरा गांधी अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित दराल ने बताया कि सिजोफ्रेनिया ऐसी गंभीर मानसिक बीमारी है जिसमें मरीज की सोचने, समझने, किसी चीज को महसूस करने और व्यवहार की क्षमता प्रभावित होती है। वे काल्पनिक चीजें महसूस करते हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को कान में काल्पनिक आवाजें सुनाई देती है और ऐसी चीजें दिखाई देती हैं जो मौजूद नहीं होती।