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हवा के बाद अब दिल्ली की मिठाई भी हुई जहरीली, ऐसे करें असली-नकली की पहचान

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गिरने के बाद अब मिठाई की क्वालिटी भी खराब हो चुकी है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ और मिलावट रहित भोजन जरूरी है लेकिन अधिक मुनाफे के लालच में खानपान की हर चीज में मिलावट की जाती है। बाजार में शायद ही खानपान की कोई ऐसी वस्तु हो जिसमें मिलावट नहीं की हाती है। फल और सब्जियां भी इससे परे नहीं हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 09 Nov 2023 01:30 PM (IST)
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हवा के बाद अब दिल्ली की मिठाई भी हुई जहरीली, ऐसे करें असली-नकली की पहचान

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गिरने के बाद अब मिठाई की क्वालिटी भी खराब हो चुकी है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ और मिलावट रहित भोजन जरूरी है, लेकिन अधिक मुनाफे के लालच में खानपान की हर चीज में मिलावट की जाती है।

बाजार में शायद ही खानपान की कोई ऐसी वस्तु हो जिसमें मिलावट नहीं की हाती है। फल और सब्जियां भी इससे परे नहीं हैं। कुछ लोग जागरूकता के अभाव में भी अनजाने में मिलावट करते हैं।

त्योहारों के दौरान मिठाइयों की मांग बढ़ जाने के कारण खोया मावा और पनीर में सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है। यह मिलावट जानबूझकर अधिक मुनाफे के लिए की जाती है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।

कैसे रोकी जा सकती है मिलावट?

लचीला कानून और खाद्य वस्तुओं में मिलावट की निगरानी के लिए कर्मचारियों की कमी के कारण मिलावट का यह खेल चल रहा है। इसलिए खानपान की चीजों में मिलावट की रोकथाम के लिए कानून सख्त किए जाने की जरूरत है।

वर्ष 2006 से पहले खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत खाद्य वस्तुओं में किसी भी प्रकार का मिलावट होने पर न्यूनतम जेल और न्यूनतम जुर्माना अनिवार्य था। इसका मतलब है कि खाद्य वस्तुओं में मिलावट का आरोप साबित होने पर सजा चाहें एक माह का हो या वर्ष भर का लेकिन सजा और जुर्माना अनिवार्य था।

खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम का नया कानून बनने के बाद सैंपल फेल करने के दो पैमाने निर्धारित किए गए हैं। पहला सैंपल खराब और दूसरा असुरक्षित। सैंपल असुरक्षित होने का मतलब है कि उसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

खराब गुणवत्ता का मतलब है कि उसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य को नुकसान नहीं होगा, लेकिन खाद्य वस्तु में जो तत्व व गुणवत्ता होनी चाहिए वह मानक के अनुरूप नहीं है। नए कानून में खराब व असुरक्षित इन दोनों मामलों में कार्रवाई अलग-अलग प्रविधान है।

मिलावट करने वालों में क्यों खत्म हो गया कानून का डर?

सैंपल असुरक्षित पाए जाने पर जेल का प्रविधान भी और जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है, लेकिन जेल की अनिवार्यता शब्द हटा दी गई है। इससे मिलावट करने वालों में कानून का डर खत्म हो गया है। पकड़े जाने पर जुर्माना भरकर वे दोबारा मिलावट का खेल जारी रखते हैं। इसलिए सैंपल असुरक्षित पाए जाने पर जेल का अनिवार्य रूप से प्रविधान होना चाहिए।

अमेरिका सहित विकसित देश खानपान की चीजों में मिलावट को लेकर अधिक गंभीर हैं। अमेरिका के एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने मिलावट के खिलाफ सख्त प्रविधान किए हैं। यहां भी अमेरिका की तरफ मिलावट की रोकथाम के लिए सख्त कानून की जरूरत है।

वैसे खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी सामान्य दिनों में भी नियमित तौर पर खाद्य वस्तुओं में मिलावट की रोकथाम के लिए सैंपल उठाते हैं और उसकी जांच की जाती है। त्योहारों में यह अभियान तेज कर दी जाती है, लेकिन पर्याप्त संख्या में कर्मचारी उपलब्ध नहीं होते।

कर्मचारियों के 40 से 45 पद खाली होते हैं। एक-एक कर्मचारी का निगरानी क्षेत्र बहुत बड़ा होता है। उसके लिए अधिकार क्षेत्र में निगरानी कर पाना आसान नहीं होता। इसलिए कर्मचारियों की कमी भी दूर किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है।

लोगों को जागरूक करना जरूरी

खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खानपान के स्टाल व दुकान चलाने वालों के लिए फूड सेफ्टी का लाइसेंस जरूरी होता है। लोगों में इस बात की जागरूकता होनी चाहिए कि यदि वे कहीं खानपान के लिए जाए तो पहले फूड सेफ्टी लाइसेंस के बारे में पूछ सकते हैं। मिठाइयों में अक्सर सिंथेटिक रंग इस्तेमाल किए जाते हैं।

रंग मिलाने वाले ज्यादातर कारीगरों को सिंथेटिक रंगों से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की जानकारी नहीं होती है। इसलिए खानपान के कारोबार से जुड़े लोगों और कारिगरों को भी जागरूक किए जाने की जरूरत है।

साथ ही त्योहारों में मिठाइयों की इतनी मांग बढ़ जाती है कि उसे पूरा कर पाना आसान नहीं होता। इसलिए यदि संभव हो तो दिवाली के दौरान खोया व मावा से बनी मिठाइयों का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। यह जानकारी जागरण संवाददाता रणविजय सिंह से दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग के पूर्व आयुक्त एलआर गर्ग से बातचीत पर आधारित है।

इन खाद्य वस्तुओं में होती है अधिक मिलावट

इस तरह से करें मिलावट की पहचान

दूध में पानी की मिलावट की जांच

दूध की एक-दो बूंदें तिरछी सतह पर गिराने पर शुद्ध दूध सतह पर चिपका रहता और पीछे सफेद धार छोड़ते हुए धीरे-धीरे बहता है। पानी का मिलावट होने पर वह तुरंत बह जाएगा।

दूध में डिटर्जेंट की मिलावट की पहचान

पांच से 10 मिलीलीटर दूध एक ग्लास में लेकर उसमें उतना ही पानी मिलाने के बाद ग्लास को हिलाने पर यदि उसमें झाग बनता है तो इसका मतलब है कि दूध में डिटर्जेंट मिला है।

दूध, खोया, पनीर में स्टार्च की पहचान

दो से तीन मिलीलीटर दूध का सैंपल लेकर उसे थोड़ा पानी मिलाएं और फिर दो या तीन बूंद आयोडीन का घोल मिला दें। स्टार्च का मिलावट होने पर दूध नीला हो जाएगा। इसी तरह खोया व पनीर का थोड़ा सैंपल लें और उसे गर्म पानी में मिलाकर ठीक से घोल तैयार कर लें।

इसके बाद सैंपल ठंडा होने दें। सैंपल ठंडा होने पर उसमें आयोडीन दो या तीन बूंद आयोडीन मिलाने पर यदि उसका रंग बदलकर नीला हो जाए तो मतलब है कि इसमें स्टार्च मिला है।

एल्यूमीनियम वर्क

मिठाइयों पर चांदी के वर्क की जगह एल्यूमीनियम वर्क लगाकर मिलावट किया जाता है। मिठाइयों पर लगे चांदी के वर्क को दो अंगुलियों से दबाने पर वह पाउडर बन जाएगा। जबकि एल्यूमीनियम होने पर वह छोटे-छोट टूकड़ों में टूट जाएगा।

मिलावट करने पर कार्रवाई का प्रविधान

  • खाद्य सुरक्षा व मानक कानून के तहत तहत खाद्य वस्तुओं के पाकेट पर ब्रांडेड कंपनियों का भ्रामक लेबलिंग करने पर जुर्माना- 10 लाख रुपये तक
  • सैंपल असुरक्षित पाए जाने पर सजा- एक लाख रुपये जुर्माने के साथ छह माह तक की जेल का प्रविधान
  • खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता खराब होने पर जुर्माना- पांच लाख रुपये तक

पकड़ी गई नकली व मिलावटी चीजें

  • 20 अक्टूबर- 403 बोरी नकली जीरा पकड़ा गया।
  • 6 अक्टूबर- 900 किलो नकली जीरा और 300 किलो नकली काली मिर्च पकड़ी गई।
  • त्योहारों के दौरान खाद्य वस्तुओं में मिलावट की रोकथाम के लिए बनी टीेमें- 11
  • खाद्य वस्तुओं में मिलावट के लिए जांच में लगाई गई मोबाइल टेस्टिंग वैन- 2
  • प्रत्येक जिले से विभिन्न खाद्य वस्तुओं के सैंपल लेने के आदेश- 200

मिलावटी खाद्य वस्तुओं का नुकसान

खाद्य वस्तुओं में मिलावट से पेट से संबंधित परेशानी, दस्त, एलर्जी, डायबिटीज, दिल की बीमारियां, लिवर और किडनी खराब होने जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं।

कैंसर का भी खतरा

कई खाद्य वस्तुओं में सिंथेटिक रंग, कई तरह के रसायन और दूध में यूरिया तक का मिलावट किया जाता है। फल सब्जियों में भी हार्मोनल दवाओं और फलों को पकाने में कई तरह के रसायन इस्तेमाल किए जाते है।इन सबके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव से कैंसर तक का खतरा रहता है। दिल्ली के खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा खाद्य वस्तुओं के लिए गए सैंपल से संबंधित आंकड़े (वर्ष 2021- 22 के आंकड़ों पर आधारित)

खाद्य वस्तुओं के लिए गए सैंपल से संबंधित आंकड़े