'CBI को जांच सौंप देंगे', दिल्ली में अवैध निर्माण पर HC की नाराजगी, कहा- अधिकारियों की नाकामी से फैलेगी अराजकता
दिल्ली हाई कोर्ट ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कहा कि दिल्ली में पर्याप्त धार्मिक संरचनाएं हैं और जंगलों को बहाल किया जाए। कोर्ट ने कहा कि किसी भी संस्था या प्राधिकरण का इस्तेमाल अवैधता को कायम रखने के लिए नहीं किया जा सकता है। एक बार हम जांच को सीबीआई को सौंप देंगे तो दिल्ली पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अवैध निर्माण व अतिक्रमण में अधिकारियों की लापरवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। हाई कोर्ट ने कहा कि कार्रवाई करने में अधिकारियों की विफलता से अराजकता फैलेगी और व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। अदालत ने कहा कि संरक्षित स्मारक निजामुद्दीन की बावली व बाराखंभा मकबरे में अनधिकृत निर्माण रोकने में अधिकारियों की नाकामी से हम हैरान हैं।
अनधिकृत निर्माण को सुरक्षा नहीं मिल सकती- HC
अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) व अन्य प्राधिकरणों द्वारा प्रमाणित किसी भी स्मारक को संरक्षित किया जाएगा, लेकिन अनधिकृत निर्माण को कोई सुरक्षा नहीं मिल सकती है। वन भूमि के अंदर अनधिकृत अतिक्रमण और निर्माण पर चिंता व्यक्त करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली में पर्याप्त धार्मिक संरचनाएं हैं और जंगलों को बहाल किया जाए।
अदालत ने मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देने का संकेत देते हुए कहा कि किसी भी संस्था या प्राधिकरण का इस्तेमाल अवैधता को कायम रखने के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि एक बार हम जांच को सीबीआई को सौंप देंगे तो दिल्ली पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी। हर किसी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। यह कई एजेंसियों की विफलता है।
यह चौकाने वाला है- दिल्ली हाई कोर्ट
जमीनी स्तर पर काम करने वाले इन अधिकारियों ने हमें विफल कर दिया है। यह चौंकाने वाला है। अदालत ने कहा कि पहले से ही सील किए गए गेस्टहाउस की तीन ऊपरी मंजिलों पर हुए अवैध निर्माण पर न तो दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और न ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की। उक्त निर्माण पहले से ही डीडीए की भूमि पर अतिक्रमण करके किया गया था।
सुनवाई के दाैरान निर्माण करने वाले संपत्ति के मालिक ने कुछ दस्तोवज पेश करने के लिए समय देने की मांग की। उसने संपत्ति हासिल करने के संबंध में दस्तावेज पेश करने की बात की। अदालत ने जब पूछा कि संपत्ति पहले ही सील होने के बावजूद तीन मंजिलों पर निर्माण कैसे किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि इस सवालों का जवाब जानने के लिए हम जांच के लिए सीबीआई को लाना चाहते हैं।
हम किसी को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं करना चाहते हैं। उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने कहा कि अधिकारियों द्वारा संरक्षित स्मारकों के रूप में प्रमाणित स्मारकों को छोड़कर वन भूमि के अंदर किसी अन्य निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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