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सड़क सुरक्षा के लिए रामबाण बनेगा आई-रास्ते, CRRI ने तैयार किया AI एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम

Delhi News देश में सड़कों पर ब्लैक स्पॉट सबसे ज्यादा दुर्घटना का कारण बनते हैं। ब्लैक स्पॉट को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित इंटेलिजेंट साल्यूशन फार रोड सेफ्टी थ्रू टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग (आई-रास्ते) प्रोजेक्ट तैयार किया है। इससे ब्लैक स्पॉट की पहचान तेजी से करने के साथ उसका निराकरण करने में सुविधा होगी।

By ajay rai Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 24 Jun 2024 07:39 PM (IST)
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नागपुर में सड़कों का जायजा लेती सीआरआरआई की टीम।

अजय राय, नई दिल्ली। देश में सड़कों पर ब्लैक स्पॉट सबसे ज्यादा दुर्घटना का कारण बनते हैं। ब्लैक स्पॉट को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित इंटेलिजेंट साल्यूशन फार रोड सेफ्टी थ्रू टेकनोलाजी एंड इंजीनियरिंग (आई-रास्ते) प्रोजेक्ट तैयार किया है।

इससे ब्लैक स्पॉट की पहचान तेजी से करने के साथ उसका निराकरण करने में सुविधा होगी। सेंसर और कैमरे पर आधारित इस माड्यूल को वाहनों में उपयोग कर परिवहन व्यवस्था को आधुनिक भी बनाया जा सकता है।

सीआरआरआई के निदेशक डॉ. मनोरजंन पारिडा (मास्क पहने), मुख्य विज्ञानी डॉ. एस वेलुमुरुगन (बाएं) के साथ आई-रास्ते प्रोजेक्ट की स्थिति जांचने सड़क उतरी टीम।

इससे वर्ष 2030 तक केंद्र सरकार की देश में सड़क हादसे संबंधी घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करने की योजना साकार करने में मदद मिलेगी। आई-रास्ते प्रोजेक्ट केंद्र सरकार, इंटेल, आईएनएआई, आईआईआईटी हैदराबाद, सीआरआरआई, महिंद्रा एंड महिंद्रा और नागपुर नगर निगम (एनएमसी) का साझा प्रयास है।

इससे ‘विजन जीरो’ दुर्घटना की स्थिति हासिल करने के लिए चार स्तरों पर काम किया जाता है। इसके तहत वाहन सुरक्षा, गतिशीलता विश्लेषण, सड़क आधारभूत संरचना सुरक्षा और वाहन चालकों को प्रशिक्षिण व जागरूकता कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा सेंसर युक्त उन्नत ड्राइवर सहायता प्रणाली (एडीएआर) से पूरे सड़क नेटवर्क के गतिशीलता जोखिम की मैपिंग की जाती है।

इससे प्राप्त डाटा का विश्लेषण करके सड़क निर्माण व यातायात एजेंसियां दुर्घटना संभावित व बाहुल्य क्षेत्रों यानी ग्रे व ब्लैक स्पॉट की पहचान के साथ सुधार करने के लिए कर सकती हैं। इस तकनीक को एक वाहन में लगाने के लिए 18 से 20 रुपये तक खर्च आता है।

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सितबंर 2021 में नागपुर में इसे लांच किया था, बाद में प्रयोग के तौर पर इसे तेलंगाना के कुछ हिस्से में भी शुरू किया गया। इसकी पूरी रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दी गई है।

इसकी उपियोगिता और सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार इसे नए आने वाले वाहनों में आवश्यक भी कर सकती है। फिलहाल इस तकनीक का इस्तेमाल कंपनियां या राज्य सरकारें सीआरआरआइ से लेकर कर सकती हैं।

कैसे काम करता है एडीएआर

एआई आधारित एडीएआर लगातार सड़क पर नजर रखता है और ड्राइवर को वाहनों या पैदल चलने वालों से संभावित टक्कर से कुछ सेकंड पहले चेतावनी देता है। इससे चालक तेजी से वाहन को कंट्रोल करता है। इसके साथ आग चल रहे वाहन से सुरक्षित दूरी के बनाए रखने के लिए और लेन में वाहन चलाने के लिए भी अलर्ट करता है।

यह डिस्पले वाहन के डैश बोर्ड पर लगा होता है, जिसे वाहन चालक आसानी से देख सकता है। डिस्पले पर यह सारी जानकारी वाहन के अलग अलग हिस्से में लगे सेंसर के द्वारा मिलती है। नागपुर नगर निगम की 150 बसों में इस तकनीक का उपयोग किया गया। इस तकनीक के उपयोग के लिए करीब 979 चालकों को प्रशिक्षित किया गया। इसके बाद जून 2022 से मई 2023 तक करीब 31 प्रतिशत हादसों में कमी दर्ज की गई।

गतिशीलता विश्लेषण

देश में वर्तमान में सड़क नेटवर्क में ग्रे या ब्लैक स्पॉट की पहचान केवल दुर्घटनाओं की सूचना मिलने के बाद की जाती है। इसके बाद इन स्थानों पर की गई कोई भी सुधारात्मक कार्रवाई केवल प्रतिक्रियाशील प्रकृति की होती है। गतिशीलता विश्लेषण के तहत सड़क के बुनियादी ढांचे से संबंधित व एडीएआर से प्राप्त टक्कर अलर्ट डाटा से संभावित जोखिम वाले स्थान की पहचान की जाती है।

इसमें यह देखा जाता है कि किस स्थान पर एडीएआर के द्वारा ज्यादा अलर्ट आते हैं। आइ आधारित विश्लेषण करने के बाद संबंधित एजेंसी को सूचित किया जाता है, ताकि समय से स्थान की कमियों को ठीक किया जा सके। अभी तक यह प्रक्रिया होने वाली दुर्घटनाओं के बाद मौका मुआयना करके की जाती थी। इसमें अनुमानित स्थिति ज्यादा होती है। नागपुर में आइ-रास्ते के उपयोग से 33 ग्रे स्पॉट की पहचान की गई। इसके साथ ही 38 ब्लैक स्पॉट पर खामियों को पहचान की गई।

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क्या है फायदा

एआइ का उपयोग करके कैमरा आधारित मैपिंग तकनीक से सड़कों की बुनियादी संरचना का आसानी से सटीक विश्लेषण किया जा सकता है। इस डाटा का उपयोग करके सड़कों को सुरक्षित बनाने के साथ उसके रख रखाव और नई सड़कों को बनाने में उपयोग किया जा सकता है।

आई-रास्ते प्रोजेक्ट सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही इससे सड़कों पर ग्रे और ब्लैक स्पॉट की पहचान तेजी से करने के साथ उसे समय से ठीक किया जा सकता है। नागपुर में लांच के बाद इस प्रोजक्ट के नतीजे काफी अच्छे रहे हैं। -डॉ. एस वेलुमुरुगन, मुख्य विज्ञानी, यातायात अभियांत्रिकी एवं सुरक्षा, सीआरआरआई