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MCD में स्थायी समिति सदस्य के चयन पर जमकर हुईं खींचतान, LG के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं हो सका चुनाव

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने देर रात स्थायी समिति के चयन को लेकर हस्तक्षेप किया लेकिन निगम ने चुनाव स्थगित करने की घोषणा कर दी। निगम इतिहास में यह भी पहली बार हुआ कि उपराज्यपाल ने हस्तक्षेप करते हुए महापौर और उप महापौर की अनुपलब्धता पर वरिष्ठ पार्षद को बैठक की अध्यक्षता के लिए कहा गया था। संभवतः आज या कल निगम सदन की बैठक हो सकती है।

By Nihal Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 26 Sep 2024 10:57 PM (IST)
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MCD में स्थायी समिति सदस्य के चयन पर जमकर हुईं खींचतान।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। करीब डेढ़ वर्ष से लंबित स्थायी समिति के गठन के लिए स्थायी समिति सदस्य के 18वें पद के चुनाव के लिए दिनभर खींचतान और नाटक चला। पहले आप पार्षद इस बात का विरोध कर रहे थे कि उन्हें सदन में मोबाइल ले जाने की अनुमति दी जाए, लेकिन निगमायुक्त ने चुनाव की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए इस बात को खारिज कर दिया। इस दौरान आप पार्षद सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन करते रहे और महापौर ने इसको लेकर बैठक स्थगित कर दी। 

देर रात उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने हस्तक्षेप किया लेकिन देर रात को निगम ने चुनाव स्थगित करने की घोषणा कर दी। निगम इतिहास में यह भी पहली बार हुआ कि उपराज्यपाल ने हस्तक्षेप करते हुए महापौर और उप महापौर की अनुपलब्धता पर वरिष्ठ पार्षद को बैठक की अध्यक्षता के लिए कहा गया था। संभवतः आज या कल निगम सदन की बैठक हो सकती है। 

पार्षदों को मोबाइल ले जाने से रोका गया

बृहस्पतिवार को निगम की स्थायी समिति के 18वें सदस्य के चुनाव के लिए सदन की बैठक बुलाई गई थी। दोपहर दो बजे बैठक होनी थी। इस दौरान जब आप पार्षद निगम सदन में पहुंचे तो वहां तैनात दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने तलाशी देने के लिए कहा। साथ ही कहा कि मोबाइल नहीं ले जा सकते हैं। इस पर आप पार्षदों ने विरोध जताया।

15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित

साथ ही निगम सदन के बाहर नारेबाजी शुरू कर दी थी। इस बीच महापौर निगम सदन में तीन बार पहुंची। महापौर ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पार्षदों को बिना तलाशी के सदन के अंदर आने की अनुमति दी जाए और सदन की बैठक को महापौर डॉ. शैली ओबेराय ने 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। 

मेयर ने 5 अक्टूबर तक सदन को किया स्थगित

दूसरी बार भी महापौर ने यही कहते हुए सदन की बैठक को स्थगित कर दिया। इस बीच निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने सदन को बताया कि चुनाव की गोपनीयता भंग न हो इसलिए मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित किया है। इस बीच निगम सचिव शिवा प्रसाद केवी ने कहा कि निगम के प्रक्रिया व संचालन के अनुच्छेद 51 (5) के तहत चुनाव की गोपनीयता बनाने के लिए मोबाइल फोन लाना प्रतिबंधित किया गया है। चुनाव की प्रक्रिया के बाद सदस्य मोबाइल ला सकते हैं। इस बीच महापौर ने तीसरी बार सदन में पहुंची और बैठक को पांच अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। 

अधिकारी मेयर की बात नहीं मान रहे: डॉ. शैली ओबेरॉय

उन्होंने कहा कि बड़े दुख की बात है कि अधिकारी महापौर के आदेश को नहीं मान रहे हैं। पार्षदों की मर्यादा को अपमानित किया जा रहा है। अधिकारियों पर न जाने क्यों दवाब है? इसलिए सदन की बैठक को पांच अक्टूबर तक के लिए स्थगित किया जा रहा है।

जब महापौर ने बैठक को स्थगित कर दिया तो पार्षद अपने-अपने घर निकले गए। इस बीच अचानक आप और भाजपा ने अपने पार्षदों वापस निगम मुख्यालय पहुंचने के आदेश दे दिए। फिर देर शाम को उपराज्यपाल ने निगमायुक्त को आदेश दिए कि वह चुनाव कराए। साथ ही महापौर व उप महापौर को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए कहें अगर वह नहीं करते हैं तो वरिष्ठ पार्षद को इसकी जिम्मेदारी दे।

यह बनी विवाद की वजह 

दिल्ली नगर निगम चुनाव में निगम सचिव के उस आदेश से आप पार्षद नाराज थे जिसमें सदन में मोबाइल लाना सदन में प्रतिबंधित किया गया था। पार्षदों का कहना था कि पुलिस ने उनकी तलाशी नहीं ले सकती है और मोबाइल ले जाने की अनुमति होनी चाहिए। वह जब मतदान करेंगे तो मोबाइल मतदान केंद्र के अंदर लेकर नहीं जाएंगे। पुलिस अधिकारियों ने पार्षदों की मांग को खारिज कर दिया। इस बीच आप पार्षद यह नारे लगाते रहे कि मेयर हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा। निगमायुक्त और दिल्ली पुलिस हाय-हाय के नारे लगाए गए। 

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के विकास को पटरी से उतार दिया है। जब से आप सत्ता में आई है तब से सारे काम प्रभावित हो रहे हैं। आप ने निगम का विकास रोकने के लिए स्थायी समिति का गठन रोक रखा है। आप की मंशा फिर उजागर हो गई। हमें मोबाइल न ले जाने से कोई आपत्ति नहीं है। निगम के जो आदेश हैं हम वह मानेंगे। -राजा इकबाल सिंह, नेता प्रतिपक्ष, एमसीडी

उपराज्यपाल ने क्या दिए आदेश

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने निगम आयुक्त  अश्विनी कुमार को निर्देश दिया कि चुनाव प्रक्रिया 26 सितंबर को ही पूरी कर ली जाए। एलजी के आदेश में कहा गया है कि महापौर ने "जानबूझकर तुच्छ तर्कों का उपयोग करके चुनाव संचालन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की है। उन्होंने आदेश में यह लिखा कि ऐसी स्थिति में निगमायुक्त इस प्रक्रिया को कराए। महापौर बैठक की अध्यक्षता करें। अगर, महापौर उपलब्ध नहीं है और वह बैठक से इन्कार करती है तो उप महापौर बैठक की अध्यक्षता करें। अगर दोनों ही बैठक की अध्यक्षता नहीं करते है या उपलब्ध नहीं होते हैं तो वरिष्ठ पार्षद को बैठक की अध्यक्षता कराई जाए।

क्यों महत्वपूर्ण है स्थायी समिति का गठन?

दिल्ली नगर में स्थायी समिति वह सर्वोच्च कमेटी है कि जिसके पास वित्तीय अधिकार है। यानि पांच करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार स्थायी समिति के पास है। ऐसे में स्थायी समिति का गठन न होने दिल्ली में एमसीडी की करीब 200 प्रस्ताव लंबित पड़े हैं। इसमें पांच बड़े प्रस्ताव है जिससे निगम का काम प्रभावित हो रहा है। इसमें मध्य जोन में कूड़ा उठाने के कार्य से लेकर भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल का कूड़ा निस्तारण की परियोजना भी स्थायी समिति की मंजूरी के लिए लंबित है। इसके साथ ही नरेला बवाना में एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना की मंजूरी लंबित है।

इतना ही नहीं 100 के करीब ले आउट प्लान की मंजूरी भी स्थायी समिति के लिए लंबित है।

निगम सदन में किसके पास है कितने सदस्य

भाजपा 115
आप 124
कांग्रेस 9
निर्दलीय 1
रिक्त 1

स्थायी समिति में फिलहाल कितने सदस्य किसके पास हैं

  • 18 सदस्यों से स्थायी समिति बनती है
  • 8 सदस्य आम आदमी पार्टी के पास हैं
  • 9 सदस्य भाजपा के पास हैं
  • 1 रिक्त पद पर चुनाव होना है। यह पद भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के सांसद बनने से रिक्त हुआ था।

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