Madurai Lok Sabha Seat: कांग्रेस-वामपंथ के दुर्ग में भाजपा का राष्ट्रवाद पर दांव, कितनी सफल होगी रणनीति?
Madurai Lok Sabha Seat कांग्रेस-लेफ्ट के गढ़ मदुरै में भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में पूरा जोर लगा रही है। पार्टी यहां से जुड़े सनातन के सांस्कृतिक प्रतीकों के सहारे ठोस वोटबैंक मानी जाने वाली द्रविड़ पार्टियों से जुड़ी स्थानीय जातियों पर निगाहें लगा संभावनाएं देख रही है। लेकिन क्या यह रणनीति उसे चुनावी लाभ दिला पाएगी? पढ़ें मदुरै से खास रिपोर्ट।
संजय मिश्र, मदुरै। कांग्रेस व वामपंथ की वैचारिक धारा का मजबूत आधार रहे तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी मदुरै में भाजपा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अपनी वैचारिक धारा के सहारे सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।
जयललिता के जीवनकाल में मदुरै अन्नाद्रमुक के वोटबैंक का भी एक मजबूत किला रहा था। राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करने के प्रयास में भाजपा यहां से जुड़े सनातन के सांस्कृतिक प्रतीकों के सहारे ठोस वोटबैंक मानी जाने वाली द्रविड़ पार्टियों से जुड़ी स्थानीय जातियों पर निगाहें लगा संभावनाएं देख रही है।
2024 भाजपा के लिए बड़ा मौका
अन्नाद्रमुक के अंदरुनी झगड़े की पृष्ठभूमि में जातियों पर स्थानीय पार्टियों के वर्चस्व के सियासी समीकरण को भेदने के लिए भाजपा को 2024 का चुनाव बड़ा मौका नजर आ रहा है। इसलिए उसने कमजोर माने मानी जाने कुछ स्थानीय जातियों को साधने की कसरत को गति दे रखी है।
मदुरै का इतिहास जितना रोचक और प्रभावशाली रहा है, उसकी सियासत भी कम दिलचस्प नहीं रही है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौर से कांग्रेस का गढ़ रहे मदुरै में कामगार संगठनों के दम पर भाकपा-माकपा ने पिछली सदी के सातवें दशक में वामपंथी विचारधारा का एक मजबूत आधार बना लिया।
वामपंथ का आधार कायम
मदुरै से लोस में माकपा के वर्तमान सांसद सू वेंकटेशन का द्रमुक-कांग्रेस-वामदलों का संयुक्त उम्मीदवार होना भी इस बात को साबित करता है कि वामपंथी दलों का आधार यहां कायम है। कांग्रेस के लिए यह क्षेत्र कितना महत्वपूर्ण रहा होगा, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी ने आजीवन धोती के दो टुकड़ों से तन ढकने का व्रत लेने की घोषणा मदुरै में ही की थी।
अब बदली स्थिति में कांग्रेस द्रमुक संग मिलकर माकपा प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रही है। इसमें संदेह नहीं कि राज्य में द्रमुक-कांग्रेस-वामदलों का गठबंधन जमीनी स्तर पर मजबूत है और अन्नाद्रमुक प्रत्याशी डॉ. पी सवर्ण को अपने पुराने कैडर का भरोसा, पर भाजपा अपने प्रत्याशी राम श्रीनिवासन के जरिये सत्तारूढ़ गठबंधन के सामने मजबूत सियासी-वैचारिक चुनौती पेश कर रही है।
इन जातियों का साधने का प्रयास
अपना राजनीतिक आधार बढ़ाने को भाजपा ने दलित समुदाय की यहां की तीन स्थानीय जातियों के समूह मुकुलतो को साधने का दांव चला है, जिसकी संख्या करीब 35 प्रतिशत है। ये हमेशा जयललिता का समर्थन करती रहीं थीं जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक की लड़ाई के चलते मुकुलतो में शामिल पल्लर, परायर और अरुणथातियार में बेचैनी है। इसमें पल्लर पर विशेष फोकस कर रही भाजपा उन्हें देवराज इंद्र का वंशज बता उनके जातीय गौरव को उभारने का दांव भी चल रही है, जो इस वर्ग के बुजुर्गों-युवाओं को आकर्षित कर रहा है।
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मदुरै के पेरियार बस स्टैंड के आनंदा रेस्त्रां के बाहर युवाओं की एक टोली ने चुनावी चर्चा में भी भाजपा के इस प्रयास का जिक्र किया और इस वर्ग के युवा राजन एम ने कहा कि ईडी पलानीसामी ने अन्नाद्रमुक से ओपी पनीरसेल्वम को किनारे लगा दिया है तो हम नए विकल्प को क्यों न देखें। रोचक यह है कि इस वर्ग से आने वाले पनीरसेल्वम का भाजपा से चुनावी गठबंधन है।
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भाजपा प्रचार में इनका भी कर रही इस्तेमाल
सामाजिक समीकरण को साधने के प्रयास के साथ भाजपा यहां से जुड़े सनातन के सांस्कृतिक मजबूत स्तंभों को भी उभारने का अपने प्रचार में बखूबी इस्तेमाल कर रही है। भाजपा के चुनाव रथ पर लगीं नंदी गाय, संत तिरूवल्लुवर की तस्वीरों के साथ हाथ में सेंगोल लिए पीएम मोदी की तस्वीरें द्रविड़ पार्टियों को चुनौती देने के लिए भाजपा की चिंतन शैली का साफ संदेश दे रही हैं।
मीनाक्षी मंदिर और जलीकट्टू की रथ पर लगी तस्वीरों के जरिये भाजपा यहां की सांस्कृतिक परंपराओं को भी स्वीकार करने का संदेश देते दिख रही है। इस रथ के प्रभारी दक्षिण चेंगलपटु जिला भाजपा अध्यक्ष मोहन राजा ने कहा कि हमारा कुछ साल पहले तक पहले नोटा पार्टी कह मजाक उड़ाया जाता था, पर अब उच्च वर्ग के भी लोग हमारे पास आकर जुड़ने की बात कर रहे।