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MP Polls 2023: लाडली बहना योजना बनेगी गेम चेंजर या कांग्रेस की 11 गारंटियां? शुक्रवार को मतदाता करेंगे तय

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए करीब 13 दिनों के धुआंधार प्रचार के बाद शुक्रवार (17 नवंबर) को मतदान होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी। हालांकि तीन दिसंबर को तय हो कि किसकी सरकार बन रही है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 16 Nov 2023 07:17 PM (IST)
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (बाएं) और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ (दाएं) (फाइल फोटो)

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए करीब 13 दिनों के धुआंधार प्रचार के बाद शुक्रवार (17 नवंबर) को मतदान होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी।

कब सामने आएंगे नतीजे?

भाजपा ने गरीब कल्याण, नि:शुल्क राशन, पीएम आवास, लाडली बहना और विकास को चुनावी मुद्दा बनाया तो कांग्रेस ने अपनी 11 गारंटियों के भरोसे मतदाताओं से वोट की अपील की। यह तो तीन दिसंबर को चुनाव के नतीजे आने पर पता चलेगा कि गरीब कल्याण और लाडली बहना योजना गेम चेंजर बनेगी या कांग्रेस की 11 गारंटियां।

भाजपा और कांग्रेस में शुरुआती मुकाबला बराबरी का दिख रहा था, लेकिन कांग्रेस जिस भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर के भरोसे सत्ता में आने की राह देख रही थी, उसे भी मुद्दा नहीं बना पाई। भाजपा को विश्वास है कि चौथी बार सरकार वापसी में गरीब कल्याण और लाडली बहना जैसे मुद्दे उसके प्रभावशाली चुनावी हथियार बनेंगे। बावजूद इसके चुनावी रण आसान नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि 2018 में भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई थी और कांग्रेस सरकार बनाकर भी 15 महीने में उसे खो चुकी है, इसलिए वह भी पूरी ताकत झोंककर चुनाव लड़ रही है।

राम मंदिर का मुद्दा भी छाया

मध्य प्रदेश में 5.6 करोड़ मतदाता नई सरकार चुनने के लिए शुक्रवार को मतदान करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मतदान बढ़ाने के लिए अभियान चला रहा है। इसमें यह भी बताया जा रहा है कि किसे वोट दें, किसे नहीं। राम मंदिर का मुद्दा भी आया और चुनाव में छाया भी रहा। भाजपा कहीं न कहीं इस मुद्दे पर मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल रही तो कांग्रेस ने इसे छीनने की कोशिश भी की। कांग्रेस ने कहा कि राम पर सभी देशवासियों का अधिकार है।

भाजपा की घोषणाएं

  • गरीब कल्याण- गरीबों को 2028 तक मुफ्त राशन देने की योजना जारी रहेगी।
  • लाड़ली बहना योजना
  • प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ मुख्यमंत्री लाड़ली आवास योजना के तहत सभी आवासहीन को छत उपलब्ध करवाना।
  • रसोई गैस सिलेंडर 450 रुपये में देने की घोषणा।

कांग्रेस की घोषणाएं

  • नारी सम्मान योजना- कांग्रेस ने गारंटी दी है कि महिलाओं को प्रतिमाह डेढ़ हजार रुपये दिए जाएंगे।
  • 100 यूनिट बिजली माफ-200 यूनिट हाफ
  • जातिवार गणना और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का वादा।
  • किसान कर्ज माफी, किसानों को नि:शुल्क बिजली
  • ओल्ड पेंशन योजना लागू होगी।

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कांग्रेस की ताकत

गुटबाजी में बंटी कांग्रेस में सर्वमान्य चेहरा कमलनाथ बने। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस ने अपने वादों को पूरा करने की जानकारी दी। सत्ता विरोधी लहर देखते हुए कांग्रेस ने चुनाव को शिवराज बनाम कमलनाथ का बना दिया। पढ़ो-पढ़ाओ योजना में बालक भी लाभान्वित होंगे, जबकि लाडली लक्ष्मी योजना में सिर्फ बच्चियों-लड़कियों को रुपये देने का प्रविधान है।

कांग्रेस की कमजोरी

कमलनाथ की 15 महीने की सरकार की तुलना में भाजपा के पास बताने के लिए ज्यादा उपलब्धियां हैं। कांग्रेस संगठन में युवा चेहरों की कमी सामने आई। कांग्रेस की स्थिति वाररूम के मामले में काफी मजबूत रही, लेकिन रणनीतिकारों की मेहनत जमीन पर उतर नहीं पाई।

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भाजपा की ताकत

भाजपा इस चुनाव के माहौल को प्रादेशिक स्तर से हटाकर राष्ट्रीय फलक पर ले जाने में सफल रही। पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय कैबिनेट के मंत्री और प्रदेश के कद्दावर नेताओं ने आगे आकर कांग्रेस के चुनाव अभियान का सामना किया। शुरुआती दौर में शिवराज सिंह चौहान के कमजोर पड़ने की धारणा टिकट वितरण की प्रक्रिया पूरी होने तक पूरी तरह बदल गई। लाडली बहना योजना अपना रंग दिखा सकती है।

भाजपा की कमजोरी

पुराने चेहरों को तरजीह देने से मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। पिछले चुनावों में कैबिनेट मंत्रियों को मैदान में उतारकर नुकसान उठा चुकी है। घोषणा-पत्र में कोई प्रभावशाली वादा नहीं कर सकी। ओबीसी को आरक्षण, जातिवार गणना, किसान कर्ज माफी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भाजपा असमंजस में दिखाई पड़ रही है।