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भाजपा विधायक हार्दिक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट रद्द, आरक्षण आंदोलन के बाद दर्ज हुआ था राजद्रोह का मामला

भाजपा विधायक हार्दिक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट रद्द कर दिया गया है। अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने भाजपा विधायक हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था क्योंकि वह 2020 में मुकदमे के दौरान अदालत में उपस्थित होने में विफल रहे थे।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 22 Oct 2023 06:37 PM (IST)
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भाजपा विधायक हार्दिक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट रद्द (Image: Jagran)

राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। पाटीदार आरक्षण आंदोलन से भाजपा विधायक बने हार्दिक पटेल के खिलाफ चल राजद्रोह मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी गिरफ्तारी वारंट को उच्‍च न्‍यायालय ने रद्द कर दिया। न्‍यायालय की ओर से समन जारी करने के बावजूद हार्दिक कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे थे इसके चलते यह वारंट जारी किया गया था।

उच्‍च्‍तम नयायालय की ओर से राजद्रोह के सभी मामलों को हाल लंबित रखने के दिशा निर्देश को देखते हुए गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने यह निर्णय किया। गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में 25 अगस्‍त 2015 को पाटीदार महारैली के बाद उपद्रव व आगजनी की घटना के चलते वस्‍त्रापुर पुलिस थाने में हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।

हार्दिक के खिलाफ जारी हुआ था गैरजमानतीय वारंट

हार्दिक आंदोलन के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये थे तथा पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाए गये थे। 18 जनवरी 2020 को न्‍यायालय में उपस्थित नहीं हुए इसके बाद 7 अगस्‍त को भी पेश नहीं होने पर उनके खिलाफ गैरजमानतीय वारंट जारी किया गया था।

हार्दिक के वकील रफीक लोखंडवाला ने न्‍यायालय को आईपीसी की धारा 124 ए को लेकर उच्‍चतम न्‍यायालय की ओर से जारी दिशा निर्देश का उल्‍लेख करते हुए बताया कि राजद्रोह के मामलों को हाल लंबित रखा गया है, राज्‍य सरकार की ओर से इसका कोई विरोध नहीं किया गया इसके बाद न्‍यायाधीश संदीप भट्ट ने हार्दिक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द कर दिया।

अहमदाबाद व सूरत में दर्ज राजद्रोह के मामले

वकील लोखंडवाला ने बताया कि हार्दिक के खिलाफ अहमदाबाद व सूरत में राजद्रोह के मामले दर्ज हैं, हालांकि उच्‍चतम न्‍यायालय की ओर से राजद्रोह मामलों को समाप्‍त करने को लेकर चल रही संवैधानिक बहस के बीच हाल राजद्रोह के मामलों को लंबित रखने का दिशा निर्देश दिया गया है।

गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने इसी गाइडलाइन को ध्‍यान में रखते हुए विधायक हार्दिक को यह राहत दी है। उन्‍होंने अदालत को बताया कि गुजरात पुलिस राजद्रोह के एक मामले में हार्दिक की धरपकड करना चाहती थी, इसी से बचने के लिए हार्दिक न्‍यायालय की ओर से जारी समन का पालन नहीं कर रहे थे। अगर हार्दिक कोर्ट में पेश होने के लिए आते तो पुलिस उन्‍हें गिरफ्तार कर लेती। गौरतलब है कि हार्दिक सूरत में दर्ज राजद्रोह के एक मामले में नौ माह से भी अधिक समय तक जेल में रह चुके हैं।

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