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Haryana Election 2024: हरियाणा के इतिहास में पहली बार, चुनाव की घोषणा के बाद बुलाया जाएगा विधानसभा सत्र; आखिर ऐसा क्यों?

हरियाणा में पहली बार ऐसा होगा जब चुनाव की घोषणा के बाद मौजूदा सरकार के अंतर्गत विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित पांच अध्यादेशों को भी विधेयक के तौर पर सदन से पारित करवाना है। ऐसे में राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी है। हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा।

By Anurag Aggarwa Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 16 Aug 2024 08:39 PM (IST)
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चुनाव से पहले मौजूदा विधानसभा का एक सत्र बुलाना जरूरी

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के लिए भले ही चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है, लेकिन 13 सितंबर से पहले-पहले मौजूदा 14वीं विधानसभा का एक सत्र बुलाना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है।

प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब हरियाणा विधानसभा के चुनाव घोषित होने के बाद वर्तमान सदन का सत्र आयोजित होगा। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है।

पांच माह पहले 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल करने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था।

हाल ही में राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित पांच अध्यादेशों को भी विधेयक के तौर पर सदन से पारित करवाने के लिए राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी है। 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए अधिसूचना करीब तीन सप्ताह बाद यानी पांच सितंबर को जारी होगी।

भले ही एक दिन का बुलाया जाए सत्र

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है। इसका पिछला एक दिन का सत्र पांच माह पूर्व 13 मार्च को बुलाया गया था।

इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अनुपालन में मौजूदा विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन की अवधि का ही क्यों ना हो, 13 सितंबर से पहले बुलाना संविधान के उपरोक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अनिवार्य है।

हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा के करीब 58 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि चुनाव आयोग द्वारा अगली विधानसभा के आम चुनाव घोषित होने के बाद प्रदेश के मौजूदा विधानसभा का सत्र बुलाना पड़ेगा।

जहां तक सत्र बुलाने के संबंध में और उसकी तारीख के बारे में अंतिम निर्णय लेने का विषय है तो शनिवार 17 अगस्त को प्रातः नौ बजे निर्धारित हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे में फैसला लिया जा सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा के राज्यपाल से कुल पांच अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में करवाए गए हैं, जिन्हें पास कराना जरूरी है।

इन पांच अध्यादेशों को विधानसभा में पास कराना जरूरी

हरियाणा के राज्यपाल ने जो पांच ऑर्डिनेंस जारी किए हैं, उनमें प्रदेश में कांटेरैक्ट (संविदा) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने को लेकर अहम अध्यादेश है।

प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने के बारे में कुल कुल तीन अध्यादेश हैं।

पांचवां अध्यादेश हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) से जुड़ा है। इन सभी को प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 14 अगस्त को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिनमें से कांट्रेक्ट कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा के बारे में अध्यादेश की तो 14 अगस्त को शाम को ही गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित हो गई थी, जबकि शेष चार अध्यादेशों का 16 अगस्त (हालांकि आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व) प्रदेश सरकार के गजट में अधिसूचना के तौर पर प्रकाशन किया गया है।

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