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पॉलीथिन मुक्त मुहिम को लगे पंख, अंबाला में इस तरह से बनाई जा रही बिजली

डीसी अंबाला के पॉलीथिन मुक्‍त की मुहिम रंग ला रही है। अंबाला में पॉलीथिन से बिजली बनाई जा रही है। प्रयोग के तौर पर फैक्‍ट्री चलाई गई।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Mon, 13 Jul 2020 01:07 PM (IST)
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पॉलीथिन मुक्त मुहिम को लगे पंख, अंबाला में इस तरह से बनाई जा रही बिजली

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। अंबाला को पॉलीथिन मुक्त करने के लिए प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर मुहिम शुरू की थी। इसमें जो भी पॉलीथिन लेकर आता उसे वजन के हिसाब से अनाज दिया गया। प्रशासन का यह प्रयोग सफल माना गया और शहर के चार सेंटर्स से करीब 10 टन पॉलीथिन लेकर लोगों को इतनी मात्रा में अनाज दिया गया। प्रशासन ने इस पॉलिथिन को मुलाना में चंदेरपुर रिनीवल पावर कंपनी प्राइवेट लि. में प्रयोग के तौर पर बिजली बनाने के लिए भेजा गया। प्रयोग सफल रहा और अंबाला शहर से पहुंची पॉलीथिन से बिजली बनकर तैयार हुआ और फैक्ट्री की मशीनें चल पड़ी। अब प्रशासन इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मान रहा है।

बायो मास से बनी बिजली खरीदने का है आदेश

भारत सरकार ने निजी कंपनियों से लेकर फैक्ट्री में बायो मास से तैयार होने वाली बिजली को खरीदने का आदेश कर रखा है। इस आदेश का अभी तक शतप्रतिशत पालन नहीं हो सका है। अब बायो मास से बिजली बनाने वाली कंपनियां सरकार से उम्मीद लगाए बैठी है।

करीब 7 रुपये प्रति यूनिट आता है खर्च

बायो मास से तैयार होने वाली बिजली की लागत करीब 7 रुपये प्रति यूनिट आती है। क्योंकि अगर डेढ़ टन प्लास्टिक से बिजली बनाना है तो उसमें 50 किलो पराली अथवा लकड़ी डाली जाती है। इस तरह इससे एक यूनिट बिजली तैयार होती है। इस प्रक्रिया से तैयार होने वाली एक यूनिट बिजली की लागत करीब 7 रुपये आ रही है।

निगम एक मेगावाट बिजली से कम नहीं लेगा

चंदेरपुर रिनीवल पावर कंपनी प्राइवेट लि. के संचालक रवि पूरी बताते हैं कि हम जो इस प्रक्रिया से बिजली तैयार कर रहें उसे फैक्ट्री अथवा निजी कंपनियों को बेचने के लिए तैयार है। पर हमारी लागत के अनुसार लोग बिजली के बदले निर्धारित दर अदा करने को तैयार नहीं है। ऐसे में बिजली निगम से लेकर ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर सरकार की तरफ से बनाई गई इस व्यवस्था को लागू कराने की मांग कर चुके हैं। 

सफल होता दिख रहा वेस्ट मैनेजमेंट फंडा

प्रशासन का वेस्ट मैनेजमेंट का फंडा सफल होता दिख रहा है। अगर सरकार और प्रशासन की तरफ से इस पर ध्यान दिया गया तो अंबाला से रोजाना निकलने वाले कूड़े के ढ़ेर से बिजली पैदा करने की योजना सफल होगी। कोरोना काल के समाप्त होने के बाद इस योजना पर कुछ काम शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।