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Chandra Grahan 2022: 6.30 बजे के बाद खुले मंदिरों के कपाट, शुद्धिकरण कर श्रद्धालुओं ने किया पूजा-पाठ

Chandra Grahan 2022 मंगलवार आठ नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर साल 2022 का दूसरा व आखिरी चंद्र ग्रहण लगा। पूरे प्रदेश में चंद्र ग्रहण का असर देखने को मिला। चंद्र ग्रहण मंगलवार को दोपहर ढाई बजे से सायं साढ़े छह बजे तक रहा।

By Virender KumarEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 09:22 PM (IST)
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Chandra Grahan 2022: 6.30 बजे के बाद खुले मंदिरों के कपाट।

शिमला, जागरण संवाददाता। Chandra Grahan 2022, मंगलवार आठ नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर साल 2022 का दूसरा व आखिरी चंद्र ग्रहण लगा। पूरे प्रदेश में चंद्र ग्रहण का असर देखने को मिला। चंद्र ग्रहण मंगलवार को दोपहर ढाई बजे से सायं साढ़े छह बजे तक रहा। चंद्र ग्रहण लगने से नौ घंटे पहले और सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल प्रभावी हो जाता है। चंद्र ग्रहण के चलते मंगलवार सुबह से सूतक काल शुरू हो गया। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। यहां तक की मंदिरों के कपाट तक बंद कर दिए जाते हैं।

सूतक काल खत्म होने के बाद खोले मंदिरों के कपाट

ग्रहण के बाद शुद्धिकरण करने के बाद श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान खाने-पीने को लेकर भी सावधानी बरतने की परंपरा है। जो लोग सूर्य व चंद्र ग्रहण को मानते हैं वह इस समय खाने-पीने से परहेज करते हुए केवल भगवान के नाम का जाप करते हैं। शास्त्रानुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक सुबह साढ़े छह बजे शुरू हो गया था। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। सूतक काल की समाप्ति के बाद देव स्नान, साफ-सफाई के बाद ही आम भक्तों के लिए मंदिर खोले गए और पूजा-अर्चना शुरू हुई। जहां सूर्य सत्ता का कारक है, वहीं चंद्र मन का कारक है। चंद्र ग्रहण मेष राशि में भरणी नक्षत्र में लगा। साल 2022 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार करीब 2.39 बजे से शुरू होकर और शाम 6.30 मिनट तक रहा। इस दौरान लोगों ने अपने-अपने घरों में पूजा-पाठ और मंत्रोचारण किया।

इन राशियों के लिए अशुभ रहा चंद्र ग्रहण

शिमला के मिडल बाजार के पंडित प्रयागराज ने कहा कि शिमला में चंद्र ग्रहण की अवधि चार घंटे की रही। मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, मकर, मीन और तुला राशि के लिए यह चंद्र ग्रहण शुभ नहीं रहा। ग्रहण के सूतक काल में स्नान, दान, जप, पाठ, मंत्र जाप, मंत्र सिद्धि, तीर्थ ध्यान, हवन, तर्पण, श्राद्ध, शुभ कृत्यों का संपादन करना अति शुभ होता है। इसके अलावा ग्रहण बेला में सभी जलों का महत्व गंगा जल समान हो जाता है जो लोग तीर्थ में स्नान न कर सकें वो अपने घर में ही जल में गंगा जल डालकर गंगा मां का ध्यान करते हुए स्नान करे तो तीर्थ स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। स्नान के बाद लोग आटा, गुड़, चावल व दाल का दान करना अति शुभ माना गया है।

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