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शिमला के गेयटी थियेटर में दिखेगी राज्य की संस्कृति की झलक, 1 अक्तूबर से 1 नवंबर के बीच आयोजित होगा 'पहाड़ी दिवस'

शिमला में स्थित गेयटी थियेटर में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल की संस्कृति को दिखाने के लिए 30 अक्तूबर से 1 नवंबर तक तीन दिन के लिए राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस का आयोजन कर रहा है। इस समारोह की जानकारी विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने दी। उन्होंने बताया कि पहली नवंबर 1966 में हिमाचल का गठन हुआ। इसी को लेकर हर साल पहाड़ी दिवस का आयोजन होता है।

By narveda kaundalEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Fri, 27 Oct 2023 04:49 PM (IST)
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शिमला के गेयटी थियेटर में 1 अक्तूबर से 1 नवंबर के बीच आयोजित होगा पहाड़ी दिवस

जागरण संवाददाता, शिमला। शिमला के गेयटी थियेटर (Gaiety Theater Shimla) में भाषा एवं संस्कृति विभाग आने वाली 30 अक्तूबर से 1 नवंबर तक तीन दिवसीय राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस (Pahadi Diwas Himachal) का आयोजन कर रहा है।

पहाड़ी दिवस समारोह की जानकारी विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने दी और उन्होंने बताया कि सन 1966 ई. को पंजाब राज्य पुनर्गठन पर उन पहाड़ी क्षेत्राें को हिमाचल प्रदेश को साथ मिला, जिनका भौगोलिक वातावरण, रहन-सहन व बोलियां हिमाचल प्रदेश के साथ मिलती-जुलती थीं।

हिमाचल के गठन के बाद कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिले बने

विभाग के निदेशक ने बताया कि पहली नवंबर 1966 ई. को हिमाचल का गठन हुआ था। इसमें पंजाब से हिमाचल में कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिला अस्तित्व में आए। इसी परिप्रेक्ष्य में विभाग प्रति वर्ष 1 नवंबर को पहाड़ी दिवस मनाता है जिसमें पहाड़ी बोलियाें, लोक साहित्य व लोक संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमाें का आयोजन किया जाता है।

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ये होंगे कार्यक्रम में मुख्य अतिथी

31 नवंबर को सुबह साढ़े 11 बजे गेयटी थियेटर के सम्मेलन कक्ष में लेखक गोष्ठी होगी जिसमें मुख्यातिथि के रूप में विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री विद्यानांद सरैक करेंगे। डॉ. ओपी शर्मा पहाडी भाषा की संवर्द्धक हिमाचली बोलियां विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। उसके बाद प्रदेशभर से लगभग दो दर्जन से ऊपर के पहाड़ी भाषी आमंत्रित विद्वानाें और समीक्षकाें की ओर से शोध पत्र पर परिचर्चा की जाएगी।

1 नवंबर को राज्य स्तरीय पहाड़ी कवि सम्मेलन होगा जिसमें जिला शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित हाेंगे और कवि सम्मेलन में प्रदेशभर से लगभग 40-50 पहाड़ी भाषी विद्वान अपनी कविताएं पहाड़ी बोली में प्रस्तुत करेंगे।

इन कार्यक्रमों का होगा आयोजन

डॉ. पंकज ललित ने बताया कि राज्य स्तर पर पहाड़ी दिवस समारोह के दौरान शिमला के गेयटी थियेटर में तीन दिनों तक पारंपरिक वाद्ययंत्रों व सांस्कृतिक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। 30 अक्तूबर को चोल्टू नृत्य (शिमला), पारंपरिक लोक वाद्य दल (शिमला), मुसादा गायन (चंबा), चुराही लोकनृत्य (चंबा), करयाला लोकनाटय (शिमला), नागरी लोकनृत्य (मंडी), हारूल लोक गायन (शिमला, सिरमौर) की प्रस्तुति होगी।

वहीं 31 अक्तूबर को बुड़ियाच लोकनृत्य (शिमला), पारंपरिक लोक वाद्य दल (सिरमौर), गद्दी लोकनृत्य (कांगडा), मोहणा व गंगी (बिलासपुर), झूरी लोक गायन (शिमला), मुसादा गायन (चंबा), भर्तृहरि लोक गायन (शिमला, सिरमौर), लोक नाट्य भगत (कांगड़ा), पारंपरिक लोक वाद्य दल (मंडी) और 1 नवंबर को ठोडा लोक नृत्य (शिमला), करयाला व स्वांग (शिमला), मुसादा गायन (चंबा), बुड़ियाच लोकनृत्य (शिमला), झूरी लोक गायन (शिमला), पारंपरिक लोक वाद्य दल (मंडी), लोक रामायण, भर्तृहरि लोक गायन (शिमला, सिरमौर) की प्रस्तुति करवाई जाएगी। इसमें पूरे प्रदेशभर की लोक संस्कृति की झलक दिखाई जाएगी।

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