Shimla: ट्रैप कैमरों में कैद होंगी वन्य प्राणियों की गतिविधियां, जानवरों के व्यवहार को समझने में होगी आसानी
Shimla News शिमला के तहत चार वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में वन्य प्राणियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। वन्य प्राणी विंग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है और सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
शिमला, जागरण संवाददाता। शिमला के तहत चार वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में वन्य प्राणियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। वन्य प्राणी विंग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है और सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। शिमला वन्य प्राणी विंग के अंतर्गत कुफरी का वाटर कैचमेंट वाइल्ड लाइफ एरिया, चायल वाइल्ड लाइफ एरिया, मजाठल वाइल्ड लाइफ एरिया व रेणुकाजी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी है।
ट्रैप कैमरे लगाने का उद्देश्य जानवरों की तादाद व विभिन्न प्रजातियों का सही पता लगाना है। साथ ही इनकी गतिविधियों का डाटा तैयार करना है। किन क्षेत्रों में किस प्रजाति में बढ़ोतरी हुई है, कौन से जानवर एरिया छोड़ चुके हैं या नए आवास बना लिए हैं, इसकी जानकारी प्राप्त की जाएगी। विंग के अधिकारियों का मानना है कि अगर डाटा बेहतर होगा तो जानवरों के संरक्षण के लिए भी बेहतर प्रयास किए जा सकते हैं।
जानवरों के व्यवहार को समझने में होगी आसानी
ट्रैप कैमरों के अलावा जानवरों के फुटमार्क से भी अध्ययन होगा। इसके लिए जानवरों के रूट व पेयजल स्रोतों के आसपास के स्थानों को चिह्नित किया जाएगा। पक्षियों की प्रजातियों का पता लगाने के लिए आवाज रिकार्ड की जाएगी। वन्य प्राणी विंग के कर्मचारी माह के अंत में ट्रैप कैमरों से फोटो व वीडियो लेकर अध्ययन करेंगे। विंग के वन मंडल अधिकारी एन रविशंकर का कहना है कि इस तरह की निगरानी इसी वर्ष शुरू करेंगे। इससे जानवरों के व्यवहार को समझने में भी आसानी होगी।
कैसे काम करते हैं ट्रैप कैमरे
विश्वभर में वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ट्रैप कैमरों का प्रयोग हो रहा है। इन्हें जंगल में उन स्थानों पर रखा जाता है, जहां से जानवरों के रास्ते या आवास होता है। इन कैमरों की विशेषता यह है कि सामने कोई हलचल होने पर ही आन होते हैं, यानी जब कोई जानवर कैमरे के सामने आएगा तो यह स्वत: फोटो खींचेगा या वीडियो बना लेगा। इनमें इंफ्रारेड सेंसर होते हैं।