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हिमाचल में आइडी प्रोजेक्ट पर विश्व बैंक की मुहर, खर्च होंगे 700 करोड़

हिमाचल में एकीकृत विकास प्रोजेक्ट अब बंद नही होगा, विश्व बैंक ने इस पर अपनी मुहर लगा कर अपनी स्वीकृति दे दी है।

By BabitaEdited By: Updated: Wed, 26 Dec 2018 08:49 AM (IST)
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हिमाचल में आइडी प्रोजेक्ट पर विश्व बैंक की मुहर, खर्च होंगे 700 करोड़

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में मिड हिमालय वाटरशैड की जगह अस्तित्व में आया एकीकृत विकास प्रोजेक्ट (आइडीपी) अब बंद नहीं होगा। विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति देने के लिए हामी भर दी है। इस संबंध में वन विभाग और सरकार के प्रयास रंग लाए पर इसकी मार वन समृद्धि प्रोजेक्ट पर पड़ी है। यह प्रोजेक्ट बंद हो जाएगा।

हिमाचल के हिस्से विश्व बैंक ने दो में से एक प्रोजेक्ट पर कैंची चला दी है। यानी एक हाथ से प्रोजेक्ट देकर दूसरे हाथ से वापस लेने का काम किया है। सात सौ करोड़ का प्रोजेक्ट बचाने के चक्कर में 300 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट गंवा दिया गया है। सात सौ करोड़ का आइडी प्रोजेक्ट स्वीकृत हो गया मगर वन समृद्धि प्रोजेक्ट बंद होगा। हिमालयन वाटरशैड प्रोजेक्ट वर्ष 2017 में पूरा हो गया था। इसे विश्व बैंक के माध्यम से वित्त पोषित किया गया। इसकी जगह आइडीपी का खाका तैयार किया। इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति भी हो गई। इस बीच वन समृद्धि प्रोजेक्ट तैयार किया गया। यह प्रोजेक्ट करीब 300 करोड़ रुपये का प्रस्तावित था। दोनों में उलझन पैदा हो गई। इन प्रोजेक्टों पर संकट के बादल मंडराने लगे। इस कारण प्रदेश के वन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने नई दिल्ली दौड़ लगाई। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों ने विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की। वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने भी केंद्र में पक्ष प्रमुखता से रखा था।

सरकार के पास पत्र आ गया है। अब आडीपी बंद नहीं होगा। इससे हिमाचल को बड़ा लाभ होगा। प्राकृतिक जलस्रोतों का रखरखाव होने के साथ बारिश के पानी का भी संग्रहण किया जाएगा। वन समृद्धि योजना अभी नहीं चलेगी। 

-अजय कुमार, पीसीसीएफ

आइडीपी के आगे वन समृद्धि प्रोजेक्ट काफी छोटा था। यह प्रोजेक्ट उन पंचायतों में चलेगा, जहां पहले मिड हिमालय प्रोजेक्ट नहीं था। अभी जो खर्च हो रहा है, बाद में उसे विश्व बैंक वापस कर देगा।

-वीआरआर सिंह, चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आइडीपी

500 पंचायतों में खर्च होंगे 700 करोड़

आडीपी 500 पंचायतों में आरंभ होगा। यह प्रोजेक्ट लाहुल व किन्नौर को छोड़कर 10 जिलों में चलेगा। 500 पंचायतों में 700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे पहले मिड हिमालय प्रोजेक्ट 710 पंचायतों में चल रहा था।