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Jammu Kashmir: पूर्व मंत्रियों, विधायकों, पूर्व आईएएस से सरकारी बंगले खाली करवाने पर सख्त हाईकोर्ट

जस्टिस अली मोहम्मद मार्गे ने सख्त लहजे में कहा कि इसके बाद कोर्ट कोई बहाना नहीं सुनेगा। अगली सुनवाई में पेश की जाने वाली रिपोर्ट में सीधे तौर पर यह बताया जाए कि विभाग ने कितने बंगले-क्वार्टर खाली करवाए और कितनों पर अभी भी कब्जा है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 10:11 AM (IST)
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हाईकोर्ट ने शोपियां निवासी रौफ अहमद डार पर लगाया गया पीएसए खारिज कर दिया है।

जम्मू, जेएनएन। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों, नेताओं, पूर्व आईएएस अधिकारियों, पूर्व एमएलसी व अन्य की ओर से कब्जाए सरकारी बंगलों को खाली करवाने के लिए अंतिम मोहलत दी है। विभाग की ओर से कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल बीए डार को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने की अंतिम मोहलत देते हुए जस्टिस अली मोहम्मद मार्गे ने अगली सुनवाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा।

उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि इसके बाद कोर्ट कोई बहाना नहीं सुनेगा। अगली सुनवाई में पेश की जाने वाली रिपोर्ट में सीधे तौर पर यह बताया जाए कि विभाग ने कितने बंगले-क्वार्टर खाली करवाए और कितनों पर अभी भी कब्जा है।

शोपियां निवासी पर लगाया गया पीएसए खारिज: हाईकोर्ट ने शोपियां निवासी रौफ अहमद डार पर लगाया गया पीएसए खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने पाया कि कानून के तहत पीएसए लगाते समय आरोपित को स्पष्ट कारण नहीं बताए जबकि आरोपित को कानूनी अधिकार है कि उसे बताया जाए कि किस आधार पर उसके खिलाफ कार्रवाई हुई है। लिहाजा यह आदेश कानून की नजर में सही नहीं। हाईकोर्ट ने पीएसए खारिज करते हुए कहा कि अगर आरोपित किसी अन्य मामले में वांछित नहीं तो उसे रिहा किया जाए। 

पूर्व चेयरमैन ने दायर की याचिका, हाईकोर्ट ने खारिज की: जम्मू-कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन परवेज अहमद ने चेयरमैन पद पर आरके छिब्बर की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसे अनावश्यक करार देते हुए खारिज कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने परवेज अहमद की ओर से याचिका में उठाए गए पेंशन लाभ पर कहा कि अगर वह चाहे तो इस मसले पर सिविल कोर्ट में केस दायर कर सकते है। जेके बैंक में चोर दरवाजे से नियुक्ति के मामले में परवेज अहमद को आठ जून 2019 को पद से हटा दिया गया था और उनके स्थान पर आरके छिब्बर की नियुक्ति की गई थी।परवेज अहमद ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें बैंक के बोर्ड का डायरेक्टर मनोनीत करते हुए सरकार ने चेयरमैन नियुक्त किया था।

उन्होंने कहा कि छह अक्टूबर 2016 को वह बैंक के कर्मचारी के तौर पर सेवानिवृत्त हुए और उसी दिन से उन्हें डायरेक्टर पद के लिए मनोनीत किया गया और आठ जून 2019 तक वह बैंक के चेयरमैन रहे, लिहाजा उनके सेवानिवृत्ति लाभ का आंकलन करते हुए 2016 से 2019 की अवधि को भी शामिल किया जाए। हाईकोर्ट के जस्टिस अली मोहम्मद मार्गे ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि इस मामले में यह जानना जरूरी है कि 2016 से 2019 तक याची का बैंक के साथ क्या रिश्ता रहा। बैंक नियमों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि नियमानुसार याची को अनुबंध के आधार पर डायरेक्टर व चेयरमैन पद पर नियुक्त किया गया था, लिहाजा वह बैंक के अन्य कर्मचारियों की तरह नहीं थे। इसके बावजूद अगर याची चाहे तो सेवानिवृत्ति के लाभ के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर सकते है। जहां तक आरके छिब्बर की नियुक्ति की बात है तो इसे चुनौती देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं।-